नई दिल्ली: विदेश से कॉल आने पर दिल्ली की पार्टियों में ड्रग्स डिलिवरी करने वाले एक इंटरनैशनल सिंडिकेट का क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश किया है। आरोपी कैमरून के कामेनी फिलिप, कोटे डीवोआर के कौलाई फिलिप, नाइजीरिया के गॉडविन जॉन उर्फ अडोर, केलेची चिकवे उर्फ विक्टर और इबे चिनेड़ ऑस्टिन को अरेस्ट किया गया। इनसे 2.7 किलोग्राम कोकेन, एक किलोग्राम एमडीएमए, एक किलोग्राम गांजा और दो लाख कैश रिकवर किए है। इनकी कीमत इंटरनेशनल मार्केट में 100 करोड़ रुपये बताई गई है। इनसे कई देशों के पासपोर्ट भी मिले हैं। वेस्ट अफ्रीका से आ रहे माल को मलयेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और ब्रिटेन तक कूरियर से भेजे रहे थे।
संदिग्ध पार्सल की मिली थी सूचना
अडिशनल सीपी (क्राइम) मंगेश कश्यप ने बताया कि एंटी गैग्स स्क्वॉड (AGS) के सिपाही हेमंत को 13 जून को मोती नगर स्थित एक कूरियर कंपनी से संदिग्ध पार्सल की सूचना मिली। इसे खोलने पर भारतीय सूट और लेडीज शूज के बीच में 895 ग्राम एडीएमए बरामद हुआ, जिसे ऑस्ट्रेलिया भेजा जा रहा था।
विदेश से चलाया जा रहा था सिंडिकेट
डीसीपी हर्ष इंदौरा और एसीपी भगवती प्रसाद की देखरेख में बनी इंस्पेक्टर अरविंद कुमार की टीम ने जांच के बाद इंडिया सिंडिकेट के हेड कैमरून के कामेनी फिलिप को दबोचा, जिससे 2 किग्रा से ज्यादा कोकेन मिला। पूछताछ में खुलासा हुआ कि वह एक नाइजीरियन ड्रग माफिया कैलिस्टस उर्फ कैलिस के लिए काम कर रहा था, जो अफ्रीका से नेटवर्क चला रहा है।
ऐसे लेते थे ऑर्डर
पुलिस ने इसकी निशानदेही पर साउथ दिल्ली की पार्टियों में ड्रग्स की डिलिवरी करने वाले कैलाई फिलिप को दबोचा। नाइजीरिया में बैठे गैंग से जुड़े मेंबर कॉल सेंटर की तरह वॉट्सऐप या वॉयस नोट के जरिए भारत से ऑर्डर लेते। इसके बाद यहां के लोकल नाइजीरियन पैडलर्स को डिलिवरी के लिए लोकेशन भेजते। डिलिवरी बॉय को कस्टमर का गाड़ी का नंबर, लोकेशन और ड्रग्स की मात्रा भेजी जाती थी। ड्रग्स की डिलिवरी एक तय समय और जगह पर होती थी। कैश कलेक्शन भी इसी सिस्टम से होता था। कोई एक गिरफ्तार होता तो तुरंत दूसरे को अपॉइंट कर लिया जाता था।
एक किलो को पांच में कर देते थे तब्दील
कोलंबिया से कोकेन लाने के लिए भारतीय महिलाओं को कूरियर बनाया जाता था। कैमिनी फिलिप फाइन क्वॉलिटी की कोकेन को 1 किलोग्राम कोकेन से 5 किलोग्राम में तब्दील कर मार्केट में बेचने वाली ड्रग्स बनाता था। इसके बाद कुछ मेंबर स्टॉक मैनेज करते थे, जबकि कुछ सीधे कस्टमर को ड्रग्स पहुंचाते थे। ड्रग्स के पैसे को हवाला जैसे सिस्टम से नाइजीरिया भेजा जाता था। एडीएमए की भारत में मैन्युफैक्चरिंग हो रही थी, जिसे विदेश भी भेजा जाता था। पुलिस को गिरोह के छह महीने के भीतर 85 करोड़ नाइरा की ट्रांजैक्शन का पता चला है।
संदिग्ध पार्सल की मिली थी सूचना
अडिशनल सीपी (क्राइम) मंगेश कश्यप ने बताया कि एंटी गैग्स स्क्वॉड (AGS) के सिपाही हेमंत को 13 जून को मोती नगर स्थित एक कूरियर कंपनी से संदिग्ध पार्सल की सूचना मिली। इसे खोलने पर भारतीय सूट और लेडीज शूज के बीच में 895 ग्राम एडीएमए बरामद हुआ, जिसे ऑस्ट्रेलिया भेजा जा रहा था।
विदेश से चलाया जा रहा था सिंडिकेट
डीसीपी हर्ष इंदौरा और एसीपी भगवती प्रसाद की देखरेख में बनी इंस्पेक्टर अरविंद कुमार की टीम ने जांच के बाद इंडिया सिंडिकेट के हेड कैमरून के कामेनी फिलिप को दबोचा, जिससे 2 किग्रा से ज्यादा कोकेन मिला। पूछताछ में खुलासा हुआ कि वह एक नाइजीरियन ड्रग माफिया कैलिस्टस उर्फ कैलिस के लिए काम कर रहा था, जो अफ्रीका से नेटवर्क चला रहा है।
ऐसे लेते थे ऑर्डर
पुलिस ने इसकी निशानदेही पर साउथ दिल्ली की पार्टियों में ड्रग्स की डिलिवरी करने वाले कैलाई फिलिप को दबोचा। नाइजीरिया में बैठे गैंग से जुड़े मेंबर कॉल सेंटर की तरह वॉट्सऐप या वॉयस नोट के जरिए भारत से ऑर्डर लेते। इसके बाद यहां के लोकल नाइजीरियन पैडलर्स को डिलिवरी के लिए लोकेशन भेजते। डिलिवरी बॉय को कस्टमर का गाड़ी का नंबर, लोकेशन और ड्रग्स की मात्रा भेजी जाती थी। ड्रग्स की डिलिवरी एक तय समय और जगह पर होती थी। कैश कलेक्शन भी इसी सिस्टम से होता था। कोई एक गिरफ्तार होता तो तुरंत दूसरे को अपॉइंट कर लिया जाता था।
एक किलो को पांच में कर देते थे तब्दील
कोलंबिया से कोकेन लाने के लिए भारतीय महिलाओं को कूरियर बनाया जाता था। कैमिनी फिलिप फाइन क्वॉलिटी की कोकेन को 1 किलोग्राम कोकेन से 5 किलोग्राम में तब्दील कर मार्केट में बेचने वाली ड्रग्स बनाता था। इसके बाद कुछ मेंबर स्टॉक मैनेज करते थे, जबकि कुछ सीधे कस्टमर को ड्रग्स पहुंचाते थे। ड्रग्स के पैसे को हवाला जैसे सिस्टम से नाइजीरिया भेजा जाता था। एडीएमए की भारत में मैन्युफैक्चरिंग हो रही थी, जिसे विदेश भी भेजा जाता था। पुलिस को गिरोह के छह महीने के भीतर 85 करोड़ नाइरा की ट्रांजैक्शन का पता चला है।
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