सिवनी: जिले के घंसौर ब्लॉक के सालीवाड़ा गांव के लोगों ने एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने सिवनी प्रशासन को गांव की सड़क और नाले की खराब हालत के बारे में बताने के लिए ये तरीका अपनाया है। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग को एक गर्भवती महिला के प्रसव की झूठी खबर दी। उनका मकसद था कि स्वास्थ्य विभाग के जरिए जिला प्रशासन तक उनकी समस्या पहुंचे। बारिश की वजह से गांव का रास्ता और नाला दोनों ही खराब हो गए हैं।
कच्चा रास्ता पानी में डूब गया
बारिश के कारण सालीवाड़ा गांव का कच्चा रास्ता और अधूरा नाला पानी में डूब गए हैं। गांव वालों ने बताया कि रास्ता खराब होने से उन्हें बहुत परेशानी हो रही है। उन्होंने कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसलिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को झूठी खबर देने का फैसला किया। प्रैंक किया।
एंबुलेंस लेकर पहुंची स्वास्थ्य टीम
खबर मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम एम्बुलेंस लेकर गांव पहुंची। लेकिन पानी भरे नाले के कारण वे गांव तक नहीं जा पाए। टीम ने फोन करके प्रसूता को नाले के पार लाने को कहा। तब ग्रामीणों ने बताया कि महिला की डिलीवरी नहीं होनी है। बल्कि एक किशोरी और एक महिला बीमार हैं। उन्हें इलाज की ज़रूरत है। लेकिन वे नाला पार करके एम्बुलेंस तक नहीं आ सकते हैं।
पैदल पहुंची टीम
अगले दिन जब नाले का पानी कम हुआ, तब टीम पैदल नाला पार करके गांव पहुंची। गांव पहुंचकर टीम को पता चला कि ये सब एक मजाक था। ये मजाक ग्रामीणों ने इसलिए किया था ताकि वे जिला प्रशासन को गांव की असली समस्या दिखा सकें। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने यह कदम इसलिए उठाया, ताकि स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से जिला प्रशासन को गांव की गंभीर समस्याओं की जानकारी सीधे और प्रभावी तरीके से दी जा सके।
कोई कार्रवाई नहीं की
स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीणों की बात समझी और उनके मजाक पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की। लेकिन इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या प्रशासन को जमीनी समस्याएं दिखाने के लिए अब ग्रामीणों को ऐसे कदम उठाने पड़ेंगे?
कच्चा रास्ता पानी में डूब गया
बारिश के कारण सालीवाड़ा गांव का कच्चा रास्ता और अधूरा नाला पानी में डूब गए हैं। गांव वालों ने बताया कि रास्ता खराब होने से उन्हें बहुत परेशानी हो रही है। उन्होंने कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसलिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को झूठी खबर देने का फैसला किया। प्रैंक किया।
एंबुलेंस लेकर पहुंची स्वास्थ्य टीम
खबर मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम एम्बुलेंस लेकर गांव पहुंची। लेकिन पानी भरे नाले के कारण वे गांव तक नहीं जा पाए। टीम ने फोन करके प्रसूता को नाले के पार लाने को कहा। तब ग्रामीणों ने बताया कि महिला की डिलीवरी नहीं होनी है। बल्कि एक किशोरी और एक महिला बीमार हैं। उन्हें इलाज की ज़रूरत है। लेकिन वे नाला पार करके एम्बुलेंस तक नहीं आ सकते हैं।
पैदल पहुंची टीम
अगले दिन जब नाले का पानी कम हुआ, तब टीम पैदल नाला पार करके गांव पहुंची। गांव पहुंचकर टीम को पता चला कि ये सब एक मजाक था। ये मजाक ग्रामीणों ने इसलिए किया था ताकि वे जिला प्रशासन को गांव की असली समस्या दिखा सकें। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने यह कदम इसलिए उठाया, ताकि स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से जिला प्रशासन को गांव की गंभीर समस्याओं की जानकारी सीधे और प्रभावी तरीके से दी जा सके।
कोई कार्रवाई नहीं की
स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीणों की बात समझी और उनके मजाक पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की। लेकिन इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या प्रशासन को जमीनी समस्याएं दिखाने के लिए अब ग्रामीणों को ऐसे कदम उठाने पड़ेंगे?
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