गाजियाबाद: ट्रॉनिका सिटी पुलिस ने दो दिन पूर्व पूजा कॉलोनी से मासूम का अपहरण करने में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे ऑन डिमांड बच्चा चुराते थे। उनका पूरा नेटवर्क वॉट्सऐप पर चलता था। बच्चे की फोटो जरूरतमंदों को भेजे जाते थे और पसंद आने पर उनसे रेट तय किए जाते थे। रेट फिक्स होने के बाद बच्चा चुराकर पहुंचा दिया जाता था। लड़के के अधिक और लड़की के रेट कम होते थे। इसके अलावा सांवले और गोरे रंग के बच्चों के भी रेट अलग-अलग होते थे।
एसीपी सिद्धार्थ गौतम ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों की पहचान पूजा कॉलोनी निवासी अफसर, प्रेम नगर कॉलोनी निवासी नावेद, शामली के कांधला की रहने वाली स्वाति उर्फ शाइस्ता और मुजफ्फरनगर की पचेंडा रोड नई मंडी निवासी संध्या चौहान के रूप में हुई है। एसीपी ने बताया कि यह एक चाइल्ड ट्रैफिकिंग रैकेट है, जो अवैध रूप से अडॉप्शन कराता है। इस गैग में नर्स, प्राइवेट छोटे हॉस्पिटल, आशा वर्कर, चैरिटी वर्क, मैरिज ब्यूरो चलाने वाली महिलाएं शामिल हैं।
बेचने के लिए मासूम का अपहरण किया थाआरोपी अफसर ने बताया कि वह मूलरूप से शामली का रहने वाला है। पांच माह पहले उसने प्रेमनगर कॉलोनी में किराये पर मकान लिया। यहीं पर इसकी दोस्ती जावेद अंसारी से हुई। यहां से मकान खाली करके वह पूजा कॉलोनी में रहने लगा। इसके बाद उसने अंसारी के साथ मिलकर राशिद के एक साल के बच्चे का अपहरण कर बाहर बेचने की योजना बनाई। उसकी पहचान शाइस्ता नाम की महिला से पहले से ही थी। शाइस्ता मैरिज ब्यूरो चलाती थी।
गिरोह में महिलाओं को रखते थेआरोपी ने बताया कि गैंग में महिलाओं को रखा जाता था। बच्चे के अपहरण या चोरी के बाद लोगों को लगे कि बच्चा अपनी मां के साथ है। अफसर ने बच्चे के अपहरण करने के बाद अपने साथी स्वाती उर्फ शाइस्ता से शामली में बच्चे को बेचने के लिये संपर्क किया। शाइस्ता ने अपनी दोस्त मुजफ्फरनगर की रहने वाली संध्या से बात की। वॉट्सऐप ग्रुप पर बच्चे का फोटो मंगाकर आगे ट्रांसफर किया। संध्या ने बताया कि उसने फोटो को अपने नेटवर्क के साथ ही दिल्ली, बिजनौर, मुरादाबाद, रूड़की, अमरोहा आदि कई जगहों पर भेजा।
डेढ़ लाख में हुई थी बच्चे की डीलआरोपी संध्या ने मुरादाबाद के एक प्राइवेट नर्सिंग होम की नर्स को बच्चे का फोटो भेजा था। वहां ढाई लाख रुपये में डील फाइनल हुई। किसी कारण से मुरादाबाद की पार्टी को बाहर जाना पड़ गया। वे इंतजार नहीं कर सकते थे, इसलिए अमरोहा में डेढ़ लाख में सौदा तय किया।
गोरे रंग की कीमत ज्यादापूछताछ में आरोपियों ने बताया कि गोरे रंग वाले बच्चे की डिमांड ज्यादा रहती है। सांवले नवजात बच्चे व बच्चियो की मांग कम होती है। यह बच्चा गोरा व सुंदर था, इसलिए सौदा करने में परेशानी नहीं आई।
एसीपी सिद्धार्थ गौतम ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों की पहचान पूजा कॉलोनी निवासी अफसर, प्रेम नगर कॉलोनी निवासी नावेद, शामली के कांधला की रहने वाली स्वाति उर्फ शाइस्ता और मुजफ्फरनगर की पचेंडा रोड नई मंडी निवासी संध्या चौहान के रूप में हुई है। एसीपी ने बताया कि यह एक चाइल्ड ट्रैफिकिंग रैकेट है, जो अवैध रूप से अडॉप्शन कराता है। इस गैग में नर्स, प्राइवेट छोटे हॉस्पिटल, आशा वर्कर, चैरिटी वर्क, मैरिज ब्यूरो चलाने वाली महिलाएं शामिल हैं।
लड़का और लड़की के रेट में अंतर आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि गैंग के लोग वॉट्सऐप पर बच्चों के फोटो को प्लॉट कोडवर्ड से इस्तेमाल कर रेट तय करते थे। लड़की को एफ से संबोधित करते थे और उसका रेट रंग और नयन नक्श के हिसाब से 50 हजार से एक लाख तक होता था। वहीं, लड़के का रेट रंग और नयन नक्श के हिसाब से दो लाख से 6 लाख रुपये तक होता था। वॉट्सऐप पर ही डील होती थी। आरोपियों ने अपने और साथियों के नाम बताए हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। पूछताछ के बाद चार आरोपियों को जेल भेज दिया गया।
बेचने के लिए मासूम का अपहरण किया थाआरोपी अफसर ने बताया कि वह मूलरूप से शामली का रहने वाला है। पांच माह पहले उसने प्रेमनगर कॉलोनी में किराये पर मकान लिया। यहीं पर इसकी दोस्ती जावेद अंसारी से हुई। यहां से मकान खाली करके वह पूजा कॉलोनी में रहने लगा। इसके बाद उसने अंसारी के साथ मिलकर राशिद के एक साल के बच्चे का अपहरण कर बाहर बेचने की योजना बनाई। उसकी पहचान शाइस्ता नाम की महिला से पहले से ही थी। शाइस्ता मैरिज ब्यूरो चलाती थी।
गिरोह में महिलाओं को रखते थेआरोपी ने बताया कि गैंग में महिलाओं को रखा जाता था। बच्चे के अपहरण या चोरी के बाद लोगों को लगे कि बच्चा अपनी मां के साथ है। अफसर ने बच्चे के अपहरण करने के बाद अपने साथी स्वाती उर्फ शाइस्ता से शामली में बच्चे को बेचने के लिये संपर्क किया। शाइस्ता ने अपनी दोस्त मुजफ्फरनगर की रहने वाली संध्या से बात की। वॉट्सऐप ग्रुप पर बच्चे का फोटो मंगाकर आगे ट्रांसफर किया। संध्या ने बताया कि उसने फोटो को अपने नेटवर्क के साथ ही दिल्ली, बिजनौर, मुरादाबाद, रूड़की, अमरोहा आदि कई जगहों पर भेजा।
डेढ़ लाख में हुई थी बच्चे की डीलआरोपी संध्या ने मुरादाबाद के एक प्राइवेट नर्सिंग होम की नर्स को बच्चे का फोटो भेजा था। वहां ढाई लाख रुपये में डील फाइनल हुई। किसी कारण से मुरादाबाद की पार्टी को बाहर जाना पड़ गया। वे इंतजार नहीं कर सकते थे, इसलिए अमरोहा में डेढ़ लाख में सौदा तय किया।
गोरे रंग की कीमत ज्यादापूछताछ में आरोपियों ने बताया कि गोरे रंग वाले बच्चे की डिमांड ज्यादा रहती है। सांवले नवजात बच्चे व बच्चियो की मांग कम होती है। यह बच्चा गोरा व सुंदर था, इसलिए सौदा करने में परेशानी नहीं आई।
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