नई दिल्ली/ढाका: पिछले साल अगस्त में सत्ता छोड़कर बांग्लादेश से भागने वाली शेख हसीना ने कहा है कि 'विद्रोह को हैंडल करने में सुरक्षा बलों से निश्चित तौर पर गलतियां हुई हैं।' शेख हसीना को बांग्लादेश से निकले अब करीब 15 महीनों का वक्त हो चुका है और उन्होंने द हिन्दू को दिए गये एक इंटरव्यू में 'गलती' को माना है। शेख हसीना ने कहा है कि पिछले साल के छात्र-जन विद्रोह के दौरान 'अव्यवस्थित स्थिति' से निपटने के दौरान सुरक्षा बलों से "निश्चित रूप से गलतियां" हुई थीं।
द हिंदू को दिए एक लिखित इंटरव्यू में शेख हसीना ने कहा कि उन्हें इस बात पर "संदेह" है कि बांग्लादेश में फरवरी 2026 में चुनाव होंगे या नहीं। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव हुए भी, तो उन्हें वैध नहीं माना जाएगा क्योंकि उनकी पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा हुआ है। हालांकि, शेख हसीना ने ये भी कहा कि उन्होंने अपने समर्थकों से चुनाव का बहिष्कार करने का आह्वान नहीं किया है और उन्होंने एक बड़ी हिंसा को लेकर अपने समर्थकों को आगाह किया है।
बांग्लादेश को लेकर क्या बोलीं शेख हसीना?
शेख हसीना ने इस इंटरव्यू में कहा कि "जमीनी स्तर पर तैनात हमारे सुरक्षाकर्मी तेजी से बदलती और हिंसक परिस्थितियों का सामना कर रहे थे। सुरक्षा बलों के कुछ सदस्यों ने हिंसा का जिस तरह से जवाब दिया, उसमें जरूर गलतियां हुईं, लेकिन वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों द्वारा लिए गए फैसले उचित प्रकृति के थे, सद्भावना से लिए गए थे और जान-माल के नुकसान को कम करने के इरादे से लिए गए थे।" आपको बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त से भारत में ही रह रही हैं। वहीं, मोहम्मद यूनुस, जो शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख हैं, उन्होंने सत्ता में आने के बाद एक के बाद एक भारत विरोधी फैसले लिए हैं।
शेख हसीना की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब ढाका स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) उन पर और उनकी अपदस्थ सरकार के कई शीर्ष सदस्यों पर फैसला सुनाने की तैयारी कर रहा है। विडंबना यह है कि 2009 में सत्ता में वापसी के बाद, शेख हसीना ने ही 1971 में पाकिस्तानी सेना के साथ मिलीभगत करने वाले लोगों को इंसाफ के कटघरे में लाने के लिए आईसीटी की पुनर्स्थापना की थी।
क्या शेख हसीना को मिलेगी फांसी की सजा?
शेख हसीना ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के करीबी तत्वों द्वारा कथित हिंसा की जांच की मांग की है। शेख हसीना ने कहा, "दोषी ठहराए जाने का फैसला पहले से तय होता है और जब यह आएगा तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा। लेकिन आईसीटी एक दिखावटी न्यायाधिकरण है जिसे मेरे राजनीतिक दुश्मन कंट्रोल कर रहे हैं, जो अवामी लीग को एक राजनीतिक ताकत के रूप में नष्ट करने पर आमादा हैं।" उन्होंने कहा कि 'मेरे विरोधियों ने इसीलिए मेरे लिए फांसी की सजा की मांग की है और जो फैसला आएगा, उससे मुझे आश्चर्य नहीं होगा।'
द हिंदू को दिए एक लिखित इंटरव्यू में शेख हसीना ने कहा कि उन्हें इस बात पर "संदेह" है कि बांग्लादेश में फरवरी 2026 में चुनाव होंगे या नहीं। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव हुए भी, तो उन्हें वैध नहीं माना जाएगा क्योंकि उनकी पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा हुआ है। हालांकि, शेख हसीना ने ये भी कहा कि उन्होंने अपने समर्थकों से चुनाव का बहिष्कार करने का आह्वान नहीं किया है और उन्होंने एक बड़ी हिंसा को लेकर अपने समर्थकों को आगाह किया है।
बांग्लादेश को लेकर क्या बोलीं शेख हसीना?
शेख हसीना ने इस इंटरव्यू में कहा कि "जमीनी स्तर पर तैनात हमारे सुरक्षाकर्मी तेजी से बदलती और हिंसक परिस्थितियों का सामना कर रहे थे। सुरक्षा बलों के कुछ सदस्यों ने हिंसा का जिस तरह से जवाब दिया, उसमें जरूर गलतियां हुईं, लेकिन वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों द्वारा लिए गए फैसले उचित प्रकृति के थे, सद्भावना से लिए गए थे और जान-माल के नुकसान को कम करने के इरादे से लिए गए थे।" आपको बता दें कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त से भारत में ही रह रही हैं। वहीं, मोहम्मद यूनुस, जो शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख हैं, उन्होंने सत्ता में आने के बाद एक के बाद एक भारत विरोधी फैसले लिए हैं।
शेख हसीना की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब ढाका स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) उन पर और उनकी अपदस्थ सरकार के कई शीर्ष सदस्यों पर फैसला सुनाने की तैयारी कर रहा है। विडंबना यह है कि 2009 में सत्ता में वापसी के बाद, शेख हसीना ने ही 1971 में पाकिस्तानी सेना के साथ मिलीभगत करने वाले लोगों को इंसाफ के कटघरे में लाने के लिए आईसीटी की पुनर्स्थापना की थी।
क्या शेख हसीना को मिलेगी फांसी की सजा?
शेख हसीना ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के करीबी तत्वों द्वारा कथित हिंसा की जांच की मांग की है। शेख हसीना ने कहा, "दोषी ठहराए जाने का फैसला पहले से तय होता है और जब यह आएगा तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा। लेकिन आईसीटी एक दिखावटी न्यायाधिकरण है जिसे मेरे राजनीतिक दुश्मन कंट्रोल कर रहे हैं, जो अवामी लीग को एक राजनीतिक ताकत के रूप में नष्ट करने पर आमादा हैं।" उन्होंने कहा कि 'मेरे विरोधियों ने इसीलिए मेरे लिए फांसी की सजा की मांग की है और जो फैसला आएगा, उससे मुझे आश्चर्य नहीं होगा।'
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