बीजिंग: भारत की सीमा से सटे इलाकों में चीन इस तरह की सैन्य तैयारियां कर रहा है, जिसे देखते हुए यही लगता है कि आज नहीं तो कल, युद्ध होकर रहेगा। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन, भारत के साथ अपनी सबसे ज्यादा विवादित सीमा के करीब, कम से कम दो ऐसी सुविधाएं बना रहा है, जहां बंकरों से मिसाइलों को लॉन्च किया जा सकता है। ये एक एयर डिफेंस सिस्टम जैसा पैटर्न लगता है, जहां इन बंकरों से ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर-लॉन्चर से सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें दागी जा सकती हैं। इसका मतलब ये हुआ है कि चीन तो दुश्मन पर हमले कर सकता है, लेकिन दुश्मन के लिए चीन पर जवाबी हमला करना और मुश्किल हो जाएगा।
वॉर जोन की रिपोर्ट के मुताबिक, भू-स्थानिक खुफिया फर्म ऑलसोर्स एनालिसिस ने पश्चिमी चीन में स्थित इन दो स्थलों की तरफ सबसे पहले ध्यान आकर्षित किया था, जिनका आकलन उसने अगस्त और सितंबर के बीच प्लैनेट लैब्स से लिए गये सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर किया था। सितंबर में वैंटोर (मैक्सार टेक्नोलॉजीज) से ली गई सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर इंडिया टुडे की रिपोर्ट में भी इसी तरह की जानकारी दी गई थी।
भारत की सीमा के पास चीन के बंकरों का खुलासा
वॉर जोन की रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से इन ठिकानों को लेकर कई बातों का खुलासा किया गया है। इसमें कहा गया है कि इन ठिकानों का इस्तेमाल चीन के HQ-9 लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम के लिए किया जा सकता है, जो एक एयर डिफेंस सिस्टम है। यह सिस्टम रूस के S-300P सीरीज का एडवांस वैरिएंट है। पाकिस्तान भी यही इस्तेमाल करता था, जिसे ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने तबाह कर दिया था। HQ-9 ट्रक-माउंटेड लॉन्चर (TEL) से वर्टिकल मिसाइल फायर करता है और रिट्रैक्टेबल रूफ वाले बंकर इसी डिजाइन से पूरी तरह मेल खाते हैं। कुछ तस्वीरों में दो बंकरों की छतें खुली हुई दिखाई दे रही हैं, जिनके अंदर ऐसे ऑब्जेक्ट्स नजर आ रहे हैं, जो HQ-9 लॉन्चर जैसे लग रहे हैं।
चीन के बंकरों के निर्माण के पीछे मकसद क्या है?
गार काउंटी वाली साइट की लोकेशन को लेकर वॉर जोन की रिपोर्ट में एक बड़ा दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पहला बंकर गार काउंटी में स्थित है, जबकि दूसरा पैंगोंग झील (जिसे पैंगोंग त्सो के नाम से भी जाना जाता है) के पूर्वी छोर के पास है। ये दोनों ही चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के अंदर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के अपेक्षाकृत निकट स्थित हैं, जो भारत के साथ वर्तमान वास्तविक सीमा बनाती है। पैंगोंग झील और LAC के साथ अन्य क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच बार-बार टकराव हुआ है। इसके अलावा एक और खास बात ये है कि गार काउंटी वाला ठिकाना...भारतीय सीमा के सामने उस इलाके में है जहां भारत का एक एयरबेस मौजूद है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये ठिकाने चीन की "एंटी-एक्सेस और एरिया डिनायल (A2/AD)" क्षमता को भारतीय क्षेत्र की गहराई तक बढ़ा सकते हैं। यानी PLA अब भारतीय विमानों, ड्रोन या मिसाइलों को LAC पार करने से पहले ही निशाना बना सकता है। हालांकि इन बंकरों की दूरी ऐसी भी है कि ये खुद भारतीय स्टैंडऑफ स्ट्राइक्स या ड्रोन अटैक की रेंज में आते हैं। और यही वजह है कि चीन ने इन्हें मजबूत कंक्रीट परतों, किलेनुमा दीवारों और अंडरग्राउंड कमांड सेंटर से सुरक्षित करने की कोशिश की है। इन साइट्स पर गोला-बारूद स्टोरेज, गाड़ियों के रखने की जगह और सैनिकों के रहने के क्वार्टर भी बनाए हैं।
LAC पर भविष्य के युद्ध की तैयारी कर रहा चीन
पैंगोंग झील के पास स्थित सुविधा केंद्र में भी इसी तरह के चैनल दिखाई दे रहे हैं, लेकिन वहां फिलहाल कोई स्पष्ट रडार स्थिति नहीं दिख रहे हैं। ऐसे संकेत हैं कि दोनों जगहों पर अलग-अलग स्तर पर निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है। इससे पहले भी साल 2017 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में चीन के निर्माण कार्य को लेकर दावे किए गये थे। उसमें कहा गया था, कि दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीपों पर चीन ने रिट्रैक्टेबल रूफ वाले हल्के शेल्टर बनाए थे, जहां HQ-9 मिसाइलें रखी गईं। 2022 में Woody Island की सैटेलाइट तस्वीरों में भी इसी तरह की संरचनाएं दिखीं थी और अब चीन का वही पैटर्न भारत सीमा तक पहुंच गया है, जिससे पता चलता है कि चीन अपने एयर डिफेंस नेटवर्क का किले की तरह मजबूत कर रहा है।
वॉर जोन की रिपोर्ट के मुताबिक, भू-स्थानिक खुफिया फर्म ऑलसोर्स एनालिसिस ने पश्चिमी चीन में स्थित इन दो स्थलों की तरफ सबसे पहले ध्यान आकर्षित किया था, जिनका आकलन उसने अगस्त और सितंबर के बीच प्लैनेट लैब्स से लिए गये सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर किया था। सितंबर में वैंटोर (मैक्सार टेक्नोलॉजीज) से ली गई सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर इंडिया टुडे की रिपोर्ट में भी इसी तरह की जानकारी दी गई थी।
भारत की सीमा के पास चीन के बंकरों का खुलासा
वॉर जोन की रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से इन ठिकानों को लेकर कई बातों का खुलासा किया गया है। इसमें कहा गया है कि इन ठिकानों का इस्तेमाल चीन के HQ-9 लॉन्ग-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम के लिए किया जा सकता है, जो एक एयर डिफेंस सिस्टम है। यह सिस्टम रूस के S-300P सीरीज का एडवांस वैरिएंट है। पाकिस्तान भी यही इस्तेमाल करता था, जिसे ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने तबाह कर दिया था। HQ-9 ट्रक-माउंटेड लॉन्चर (TEL) से वर्टिकल मिसाइल फायर करता है और रिट्रैक्टेबल रूफ वाले बंकर इसी डिजाइन से पूरी तरह मेल खाते हैं। कुछ तस्वीरों में दो बंकरों की छतें खुली हुई दिखाई दे रही हैं, जिनके अंदर ऐसे ऑब्जेक्ट्स नजर आ रहे हैं, जो HQ-9 लॉन्चर जैसे लग रहे हैं।
Satellite images show China upgrading military bases near India.
— Clash Report (@clashreport) October 27, 2025
Large surface-to-air missile systems can now launch from inside reinforced shelters with sliding roofs.
These shelters provide better protection from airstrikes, satellites, and drone attacks. pic.twitter.com/kdy7xuX6A5
चीन के बंकरों के निर्माण के पीछे मकसद क्या है?
गार काउंटी वाली साइट की लोकेशन को लेकर वॉर जोन की रिपोर्ट में एक बड़ा दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पहला बंकर गार काउंटी में स्थित है, जबकि दूसरा पैंगोंग झील (जिसे पैंगोंग त्सो के नाम से भी जाना जाता है) के पूर्वी छोर के पास है। ये दोनों ही चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के अंदर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के अपेक्षाकृत निकट स्थित हैं, जो भारत के साथ वर्तमान वास्तविक सीमा बनाती है। पैंगोंग झील और LAC के साथ अन्य क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच बार-बार टकराव हुआ है। इसके अलावा एक और खास बात ये है कि गार काउंटी वाला ठिकाना...भारतीय सीमा के सामने उस इलाके में है जहां भारत का एक एयरबेस मौजूद है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये ठिकाने चीन की "एंटी-एक्सेस और एरिया डिनायल (A2/AD)" क्षमता को भारतीय क्षेत्र की गहराई तक बढ़ा सकते हैं। यानी PLA अब भारतीय विमानों, ड्रोन या मिसाइलों को LAC पार करने से पहले ही निशाना बना सकता है। हालांकि इन बंकरों की दूरी ऐसी भी है कि ये खुद भारतीय स्टैंडऑफ स्ट्राइक्स या ड्रोन अटैक की रेंज में आते हैं। और यही वजह है कि चीन ने इन्हें मजबूत कंक्रीट परतों, किलेनुमा दीवारों और अंडरग्राउंड कमांड सेंटर से सुरक्षित करने की कोशिश की है। इन साइट्स पर गोला-बारूद स्टोरेज, गाड़ियों के रखने की जगह और सैनिकों के रहने के क्वार्टर भी बनाए हैं।
in addition to the Arrow II/III six-tube launchers placed on surface pads, Israel has established 2x4 protective bunkers which hold each 6 msl on single launch rails at two Arrow #ABM sites.
— ben-reuter (@benreuter_IMINT) August 13, 2021
In a rare shot you can see those single rails parked just in front of the bunker. pic.twitter.com/MQuJ3C2f0B
LAC पर भविष्य के युद्ध की तैयारी कर रहा चीन
पैंगोंग झील के पास स्थित सुविधा केंद्र में भी इसी तरह के चैनल दिखाई दे रहे हैं, लेकिन वहां फिलहाल कोई स्पष्ट रडार स्थिति नहीं दिख रहे हैं। ऐसे संकेत हैं कि दोनों जगहों पर अलग-अलग स्तर पर निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है। इससे पहले भी साल 2017 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में चीन के निर्माण कार्य को लेकर दावे किए गये थे। उसमें कहा गया था, कि दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीपों पर चीन ने रिट्रैक्टेबल रूफ वाले हल्के शेल्टर बनाए थे, जहां HQ-9 मिसाइलें रखी गईं। 2022 में Woody Island की सैटेलाइट तस्वीरों में भी इसी तरह की संरचनाएं दिखीं थी और अब चीन का वही पैटर्न भारत सीमा तक पहुंच गया है, जिससे पता चलता है कि चीन अपने एयर डिफेंस नेटवर्क का किले की तरह मजबूत कर रहा है।
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