इस्लामाबाद: पाकिस्तान, पश्चिमी और खाड़ी देशों की नजर में खुद को महान साबित करने के लिए समुद्र में फर्जी ऑपरेशन चला रही है। इसमें वो खुद ड्रग्स की तस्करी करवाती है और खुद तस्करों को पकड़ती है और वाहवाही लूटने की कोशिश करती है। दरअसल, पाकिस्तान की समुद्री सीमा, खासकर बलूचिस्तान के मकरान तट से सटा इलाका, पिछले एक दशक से दुनिया के सबसे बड़े नार्को-ट्रांजिट कॉरिडोर में बदल चुका है। इसी रास्ते से हेरोइन, क्रिस्टल मेथ और अन्य मादक पदार्थ अरब सागर के जरिए खाड़ी देशों और अफ्रीका तक पहुंचाए जाते हैं।
नवभारत टाइम्स को खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एजेंसी (UNODC), भारतीय नौसेना और संयुक्त समुद्री बल (CMF) की कई रिपोर्टों ने, ड्रग्स की इन बरामदगियों को सीधे पाकिस्तान के तटीय इलाकों जैसे ग्वादर और पसनी पोर्ट से जोड़ा है। यानि, खुद इन बंदरगाहों के जरिए पाकिस्तान की नौसेना ड्रग्स की तस्करी करती है और बाद में खुद को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पीड़ित की तरह पेश करती है, जैसे की वो खुद ड्रग्स तस्करी का शिकार है। जबकि हकीकत ये है पाकिस्तान ही इस ड्रग्स तस्करी का मास्टरमाइंड है। लेकिन अब पाकिस्तान के पाखंड की पोल खुल चुकी है और उसका सच बेनकाब हो चुका है।
पाकिस्तान कैस चलाता है समंदर में ड्रग्स का अथाह कारोबार?
पाकिस्तान ड्रग्स तस्करी के जरिए अथाह पैसे भी कमा रहा है। खुफिया जानकारी के मुताबिक, ड्रग्स तस्करी का ये कारोबार किसी तस्करी गिरोह की तरह नहीं, बल्कि पूरी तरह से संगठित गिरोह की तरह चलाया जाता है, जिसमें सेना की भागीदारी होती है। खाड़ी देशों की खुफिया रिपोर्टों में बार-बार यह बात सामने आई है कि हाई क्वालिटी वाली मेथ की तस्करी में पाकिस्तानी गिरोहों का दबदबा है, जो बिना झंडे वाली नौकाओं से अरब, ओमान और पूर्वी अफ्रीका तक माल भेजते हैं। इन जहाजों की पहचान करना मुश्किल होता है और और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
पाकिस्तान की नौसेना और सुरक्षा बल एक तरफ मादक पदार्थ विरोधी अभियान चलाने का दावा करते हैं, जबकि दूसरी तरफ, उन्हीं पर इस व्यापार को संरक्षण देने के आरोप लगते हैं। ऐतिहासिक रूप से कई अदालतों और अखबारी रिपोर्टों में दर्ज है कि 1990 और 2000 के दशक में इन्हीं इलाकों से तस्करी सरकार के शह पर होती थी। आज पाकिस्तान नौसेना संयुक्त समुद्री बल (CMF) के साथ समंदर में ड्रग्स तस्करों के खिलाफ चलाए गये अभियानों की तस्वीरें शेयर करती है और अपना पीठ ठोकते नजर आती है, लेकिन खुफिया सूत्रों ने के मुताबिक, हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें खुद पाकिस्तान ही शामिल होता है। इनमें से ज्यादातर मामलों में न तो आरोपियों की पहचान होती है, न मुकदमा चलता है, यानी कार्रवाई से ज्यादा दिखावे पर जोर दिया जाता है।
भारत चलाता है ड्रग्स तस्करों के खिलाफ असली अभियान
एक तरफ जहां पाकिस्तान दिखावा करता है, वहीं भारत ने पिछले एक दशक में समुद्र में चलने वाले ड्रग्स तस्करों के खिलाफ जमकर ऑपरेशन चलाए हैं। भारतीय नौसेना ने एक विश्वसनीय, पारदर्शी रिकॉर्ड बनाया है। भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड ने INS सुवर्णा से लेकर INS त्रिशूल तक, कई अभियानों में कई टन नशीले पदार्थ जब्त किए हैं। भारत ने जहाज जब्त किए और आरोपियों के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर मुकदमे चलाए, जिसकी हर जानकारी हर अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को है।
भारत ने इंटरपोल, डीईए और श्रीलंकाई नौसेना जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर एक कॉर्डिनेटेड ढांचा बनाया है। सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR) और रियल-टाइम निगरानी नेटवर्क के जरिए भारत ने समुद्री डोमेन अवेयरनेस का ऐसा तंत्र खड़ा किया है जो वास्तविक समय में संदिग्ध जहाजों की निगरानी और रोकथाम करती है। पाकिस्तान जहां अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की समीक्षा से पहले "सफल अभियान" दिखा कर छवि सुधारने की कोशिश करता है, वहीं भारत की नीति, संस्थागत निरंतरता और पारदर्शिता पर टिकी है।
नार्को-इंडस्ट्रियल जोन में बदला बलूचिस्तान
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, बलूचिस्तान, पाकिस्तान के इस पाखंड की सबसे बड़ी कड़ी है। बलूचिस्तान में कत्लेआम मचाने के बाद पाकिस्तानी सेना ने इस राज्य को नार्को-इंडस्ट्रियल जोन को बदल दिया है। ग्वादर बंदरगाह, जिसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का प्रतीक बताया जाता है, वो भी अब कथित रूप से इस अवैध व्यापार का छिपा हुआ केंद्र बन चुका है। कई स्वतंत्र रिपोर्टों और कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि मादक पदार्थों से होने वाली कमाई को पाकिस्तान अलग अलग प्रोजेक्ट और सेना से संबंध रखने वाली कंपनियों में लगाता है। इससे यह साफ झलकता है कि पाकिस्तान में ड्रग मनी अब देश में की समानांतर अर्थव्यवस्था में शामिल होने लगी है।
नवभारत टाइम्स को खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एजेंसी (UNODC), भारतीय नौसेना और संयुक्त समुद्री बल (CMF) की कई रिपोर्टों ने, ड्रग्स की इन बरामदगियों को सीधे पाकिस्तान के तटीय इलाकों जैसे ग्वादर और पसनी पोर्ट से जोड़ा है। यानि, खुद इन बंदरगाहों के जरिए पाकिस्तान की नौसेना ड्रग्स की तस्करी करती है और बाद में खुद को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पीड़ित की तरह पेश करती है, जैसे की वो खुद ड्रग्स तस्करी का शिकार है। जबकि हकीकत ये है पाकिस्तान ही इस ड्रग्स तस्करी का मास्टरमाइंड है। लेकिन अब पाकिस्तान के पाखंड की पोल खुल चुकी है और उसका सच बेनकाब हो चुका है।
पाकिस्तान कैस चलाता है समंदर में ड्रग्स का अथाह कारोबार?
पाकिस्तान ड्रग्स तस्करी के जरिए अथाह पैसे भी कमा रहा है। खुफिया जानकारी के मुताबिक, ड्रग्स तस्करी का ये कारोबार किसी तस्करी गिरोह की तरह नहीं, बल्कि पूरी तरह से संगठित गिरोह की तरह चलाया जाता है, जिसमें सेना की भागीदारी होती है। खाड़ी देशों की खुफिया रिपोर्टों में बार-बार यह बात सामने आई है कि हाई क्वालिटी वाली मेथ की तस्करी में पाकिस्तानी गिरोहों का दबदबा है, जो बिना झंडे वाली नौकाओं से अरब, ओमान और पूर्वी अफ्रीका तक माल भेजते हैं। इन जहाजों की पहचान करना मुश्किल होता है और और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
पाकिस्तान की नौसेना और सुरक्षा बल एक तरफ मादक पदार्थ विरोधी अभियान चलाने का दावा करते हैं, जबकि दूसरी तरफ, उन्हीं पर इस व्यापार को संरक्षण देने के आरोप लगते हैं। ऐतिहासिक रूप से कई अदालतों और अखबारी रिपोर्टों में दर्ज है कि 1990 और 2000 के दशक में इन्हीं इलाकों से तस्करी सरकार के शह पर होती थी। आज पाकिस्तान नौसेना संयुक्त समुद्री बल (CMF) के साथ समंदर में ड्रग्स तस्करों के खिलाफ चलाए गये अभियानों की तस्वीरें शेयर करती है और अपना पीठ ठोकते नजर आती है, लेकिन खुफिया सूत्रों ने के मुताबिक, हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें खुद पाकिस्तान ही शामिल होता है। इनमें से ज्यादातर मामलों में न तो आरोपियों की पहचान होती है, न मुकदमा चलता है, यानी कार्रवाई से ज्यादा दिखावे पर जोर दिया जाता है।
भारत चलाता है ड्रग्स तस्करों के खिलाफ असली अभियान
एक तरफ जहां पाकिस्तान दिखावा करता है, वहीं भारत ने पिछले एक दशक में समुद्र में चलने वाले ड्रग्स तस्करों के खिलाफ जमकर ऑपरेशन चलाए हैं। भारतीय नौसेना ने एक विश्वसनीय, पारदर्शी रिकॉर्ड बनाया है। भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड ने INS सुवर्णा से लेकर INS त्रिशूल तक, कई अभियानों में कई टन नशीले पदार्थ जब्त किए हैं। भारत ने जहाज जब्त किए और आरोपियों के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर मुकदमे चलाए, जिसकी हर जानकारी हर अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को है।
भारत ने इंटरपोल, डीईए और श्रीलंकाई नौसेना जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर एक कॉर्डिनेटेड ढांचा बनाया है। सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR) और रियल-टाइम निगरानी नेटवर्क के जरिए भारत ने समुद्री डोमेन अवेयरनेस का ऐसा तंत्र खड़ा किया है जो वास्तविक समय में संदिग्ध जहाजों की निगरानी और रोकथाम करती है। पाकिस्तान जहां अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की समीक्षा से पहले "सफल अभियान" दिखा कर छवि सुधारने की कोशिश करता है, वहीं भारत की नीति, संस्थागत निरंतरता और पारदर्शिता पर टिकी है।
नार्को-इंडस्ट्रियल जोन में बदला बलूचिस्तान
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, बलूचिस्तान, पाकिस्तान के इस पाखंड की सबसे बड़ी कड़ी है। बलूचिस्तान में कत्लेआम मचाने के बाद पाकिस्तानी सेना ने इस राज्य को नार्को-इंडस्ट्रियल जोन को बदल दिया है। ग्वादर बंदरगाह, जिसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का प्रतीक बताया जाता है, वो भी अब कथित रूप से इस अवैध व्यापार का छिपा हुआ केंद्र बन चुका है। कई स्वतंत्र रिपोर्टों और कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि मादक पदार्थों से होने वाली कमाई को पाकिस्तान अलग अलग प्रोजेक्ट और सेना से संबंध रखने वाली कंपनियों में लगाता है। इससे यह साफ झलकता है कि पाकिस्तान में ड्रग मनी अब देश में की समानांतर अर्थव्यवस्था में शामिल होने लगी है।
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