News India live, Digital Desk: Muharram : जब भी मुहर्रम का जिक्र होता है, तो अक्सर लोगों के मन में जुलूस, ताजिया और मातम का दृश्य उभरता है। कई लोग इसे मुसलमानों का कोई त्योहार समझ लेते हैं, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, लेकिन यह जश्न का नहीं, बल्कि गम, शोक और कुर्बानी को याद करने का समय होता है।
क्यों मनाया जाता है मातम? कर्बला की दिल दहला देने वाली कहानी
आज से लगभग 1400 साल पहले, इराक के कर्बला नामक स्थान पर एक ऐतिहासिक और दर्दनाक घटना घटी थी। यह दिन इस्लाम के पैगंबर हजरत मुहम्मद के नवासे (नाती) इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है।
उस समय, यजीद नाम का एक अत्याचारी शासक था, जो चाहता था कि इमाम हुसैन उसकी गुलामी स्वीकार कर लें। लेकिन इमाम हुसैन अन्याय और झूठ के आगे झुकने को तैयार नहीं थे। उन्होंने सच्चाई और इंसानियत के रास्ते को चुना।
यजीद की विशाल सेना ने कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को घेर लिया। कई दिनों तक उनका पानी बंद कर दिया गया। मुहर्रम के दसवें दिन, जिसे ‘आशूरा’ कहा जाता है, यजीद की सेना ने इमाम हुसैन और उनके परिवार समेत सभी 72 साथियों को बेरहमी से शहीद कर दिया।
कैसे याद करते हैं इस कुर्बानी को?
इसी कुर्बानी को याद करते हुए, खासकर शिया समुदाय के लोग, मुहर्रम के महीने में मातम मनाते हैं।
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काले कपड़े पहनना: लोग शोक व्यक्त करने के लिए काले रंग के कपड़े पहनते हैं।
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ताजिया/जुलूस: इमाम हुसैन के मकबरे (रौजा) की प्रतिकृति बनाकर जुलूस निकाला जाता है, जिसे ‘ताजिया’ कहते हैं।
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मातम करना: जुलूस में लोग “या हुसैन, या हुसैन” के नारे लगाते हैं और अपनी छाती पीटकर उस दर्द को याद करते हैं। कुछ लोग खुद को जंजीरों या ब्लेड से चोट पहुंचाकर उस तकलीफ को महसूस करने की कोशिश करते हैं जो कर्बला में इमाम हुसैन और उनके परिवार ने सही थी।
मुहर्रम हमें सिखाता है कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना कितना भी मुश्किल क्यों न हो, हमेशा सच्चाई का साथ देना चाहिए। यह महीना त्याग और बलिदान का प्रतीक है।
मुहर्रम 2025 कब है?
इस्लामी कैलेंडर चांद पर आधारित होता है, इसलिए तारीखें बदलती रहती हैं। साल 2025 में मुहर्रम का महीना 28 जून के आसपास शुरू होने की उम्मीद है।
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