हरियाणा-पंजाब पानी विवाद: तनाव और चेतावनी का नया दौर: हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहा पानी विवाद एक बार फिर से तनाव को बढ़ा रहा है। यह मुद्दा लंबे समय से दोनों राज्यों के बीच जुबानी जंग का हिस्सा बना हुआ है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से इनकार कर दिया है, जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसे पंजाब की 'आप' सरकार की राजनीति का हिस्सा बताया है।
अभय चौटाला की कड़ी चेतावनी
इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय चौटाला ने इस विवाद पर कड़ा रुख अपनाते हुए चेतावनी दी है कि यदि 25 मई तक हरियाणा को उसका हिस्सा नहीं मिला, तो पंजाब के वाहनों की हरियाणा में एंट्री रोक दी जाएगी। यह न केवल दोनों राज्यों के बीच तनाव को दर्शाता है, बल्कि पानी की कमी की गंभीरता को भी उजागर करता है।
पंजाब और हरियाणा सरकारों पर सवाल
चौटाला ने पंजाब सरकार के साथ-साथ हरियाणा की भाजपा सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पंजाब हरियाणा के हिस्से का पानी रोक रहा है, जबकि हरियाणा की सरकार इस मामले में असफल रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कई बार पानी की मांग की है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग
इनेलो ने हरियाणा के राज्यपाल से इस पानी विवाद में हस्तक्षेप की अपील की है। अभय चौटाला ने कहा कि जब हरियाणा का एक चीफ इंजीनियर पंजाब गया, तो उसे बंधक बना लिया गया, जो पंजाब सरकार की गलत नीतियों को दर्शाता है।
पानी की कमी का प्रभाव
यह विवाद केवल राजनीतिक नहीं है; इसका सीधा असर हरियाणा के किसानों और आम लोगों पर पड़ रहा है। पानी की कमी के कारण खेती प्रभावित हो रही है और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट बढ़ रहा है।
समाज और सरकार की जिम्मेदारी
पानी विवाद का समाधान केवल चेतावनियों से नहीं हो सकता। दोनों राज्यों की सरकारों को मिलकर दीर्घकालिक समाधान खोजना होगा। केंद्र सरकार और जल प्रबंधन विशेषज्ञों को भी इस मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
भविष्य की दिशा
हरियाणा और पंजाब के बीच यह पानी विवाद एक गंभीर मुद्दा है, जिसका असर लाखों लोगों की जिंदगी पर पड़ रहा है। यदि 25 मई तक कोई समाधान नहीं निकला, तो सीमा पर वाहनों को रोकने जैसी कार्रवाई तनाव को और बढ़ा सकती है। यह समय है कि दोनों राज्य और केंद्र सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें।