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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भाजपा विरोधी मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र

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मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी

नई दिल्ली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भाजपा के खिलाफ खड़े अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र भेजा है। उन्होंने गैर भाजपा शासित राज्यों के आठ मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया है कि वे राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए संदर्भ का विरोध करें। यह संदर्भ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा विधानसभा से पारित विधेयकों की मंजूरी के लिए समय सीमा तय करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित है। राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत यह संदर्भ भेजा है।


स्टालिन ने इस संदर्भ में रविवार को पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, केरल, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने कहा, 'हम सभी जानते हैं कि जब किसी मुद्दे पर कोर्ट का आधिकारिक निर्णय पहले से ही हो चुका हो, तब सुप्रीम कोर्ट के सलाह देने के अधिकार का उपयोग नहीं किया जा सकता। फिर भी भाजपा सरकार ने राष्ट्रपति से संदर्भ मांगने के लिए दबाव डाला है, जो उनके नकारात्मक इरादों को दर्शाता है।'


स्टालिन ने पत्र में आगे लिखा, 'मैं सभी गैर भाजपा शासित राज्यों से अपील करता हूं कि राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट में भेजे गए संदर्भ का विरोध करें। हमें कोर्ट में एक कानूनी रणनीति प्रस्तुत करनी चाहिए और संविधान के मूल ढांचे की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए।' उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने का आग्रह किया। उल्लेखनीय है कि गैर भाजपा शासित अधिकांश राज्य सरकारें राज्यपालों के अनावश्यक हस्तक्षेप से परेशान हैं।


स्टालिन ने कहा, 'केंद्र सरकार ने राज्यपालों का उपयोग विपक्षी शासित राज्यों के कार्यों में बाधा डालने के लिए किया है। वे विधेयकों की मंजूरी में देरी करते हैं और बिना किसी वैध संवैधानिक या कानूनी कारण के मंजूरी नहीं देते। वे नियमित फाइलों और सरकारी आदेशों पर कब्जा कर लेते हैं, महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों में हस्तक्षेप करते हैं और शैक्षणिक संस्थानों का राजनीतिकरण करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि संविधान कुछ मुद्दों पर मौन है। संविधान के निर्माताओं को विश्वास था कि उच्च संवैधानिक पद पर बैठे लोग संविधान की नैतिकता के अनुसार कार्य करेंगे। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल के मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय दिया था।


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