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जनसुराज पार्टी में पप्पू सिंह की संभावित अध्यक्षता: बिहार की राजनीति में नया मोड़

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जनसुराज पार्टी की बैठक में अध्यक्ष का ऐलान टला

बिहार की राजनीतिक परिदृश्य में जनसुराज पार्टी एक नया विकल्प बनकर उभरी है। हाल ही में हुई बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा नहीं की गई। पार्टी ने इस निर्णय के लिए सोमवार तक का इंतजार करने का निर्णय लिया है। उम्मीद जताई जा रही है कि पूर्व सांसद उदय सिंह, जिन्हें पप्पू सिंह के नाम से जाना जाता है, को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में घोषित किया जा सकता है। इससे पहले, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी 'आसा' का विलय जनसुराज पार्टी में किया।


प्रशांत किशोर का बयान

आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब 2015 में महागठबंधन में राजद और जदयू एक साथ आए, तब भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी और भाजपा के विजय रथ को रोकने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। आरसीपी सिंह ने बताया कि वह 2010 में एक अधिकारी थे और बाद में नीतीश कुमार के साथ जदयू में शामिल हुए।


पप्पू सिंह की अध्यक्षता की संभावना

पार्टी के सूत्रों के अनुसार, रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा होनी थी, लेकिन अब यह घोषणा सोमवार को की जाएगी। जनसुराज पार्टी का संचालन शेखपुरा हाउस से हो रहा है, जो कि पप्पू सिंह का निवास स्थान है।


पप्पू सिंह का राजनीतिक सफर

उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह भाजपा से दो बार सांसद रह चुके हैं। उन्होंने 2009 से 2019 तक पूर्णिया लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा। पप्पू सिंह एक सफल व्यवसायी हैं और उनकी संपत्ति 1000 करोड़ से अधिक बताई जाती है।


पप्पू सिंह का परिवार

पप्पू सिंह का परिवार शिक्षा और राजनीति में सक्रिय रहा है। उनकी मां, माधुरी सिंह, कांग्रेस के टिकट पर दो बार सांसद रह चुकी हैं। उनके बड़े भाई एनके सिंह भी एक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं।


बीजेपी से कांग्रेस में बदलाव

पप्पू सिंह ने 2019 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय लिया था। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाए। इसके बाद, उन्होंने 2024 में लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लिया।


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