इंटरनेट डेस्क। कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री भरत सिंह का निधन हो गया है। सोमवार रात जयपुर के एसएमएस अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे। शुरुआत में कोटा में इलाज चला, लेकिन तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जयपुर रैफर किया गया था। करीब एक महीने से उनका इलाज एसएमएस अस्पताल में चल रहा था। उनके निधन की खबर से कांग्रेस में शोक की लहर दौड़ गई।
नेताओं ने जताया शोक
मीडिया रिपोटर्स की माने तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने शोक जताया और भरत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। भरत सिंह को मुद्दों पर अडिग रहने वाले नेता के रूप में जाना जाता था। भरत सिंह का जन्म 15 अगस्त 1950 को हुआ था। उन्होंने एमएस बड़ौदा यूनिवर्सिटी (गुजरात) से स्नातक की पढ़ाई की थी। वे 1993 में पहली बार खानपुर (झालावाड़) से विधायक बने। 1998 में लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे से हार गए। 2003 में दीगोद (कोटा) से विधायक बने, जहां उन्होंने भाजपा के ललित किशोर चतुर्वेदी को हराया। 2008 में सांगोद से चुनाव जीते, 2013 में हारने के बाद पंचायत चुनाव लड़ा और वार्ड पंच बने। उनकी पत्नी मीना कुमारी उस समय सरपंच रहीं। 2018 में भरत सिंह एक बार फिर सांगोद से विधायक चुने गए।
नहीं लड़ा 2023 का चुनाव
2023 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने राजनीति से खुद को अलग करने का फैसला लिया। उन्होंने साफ कहा था कि वे न तो चुनाव लड़ेंगे और न ही परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिलाएंगे। इसके बाद सांगोद से कांग्रेस ने भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया। भरत सिंह तीन बार कुंदनपुर से सरपंच और दस साल तक सांगोद पंचायत समिति के प्रधान भी रहे।
pc- danik bhaskar
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