घर खरीदना हर किसी का सपना होता है और इसे पूरा करने में होम लोन (Home Loan) अहम भूमिका निभाता है। लोन लेते समय ब्याज दर और EMI सबसे बड़ा फर्क पैदा करते हैं। क्या आप जानते हैं कि किन फैक्टर पर आपकी EMI निर्भर करती है? आइए जानते हैं वे 8 मुख्य फैक्टर, जो आपकी EMI और ब्याज दर को प्रभावित करते हैं।
1. क्रेडिट स्कोर का असरआपका क्रेडिट स्कोर (CIBIL Score) जितना अच्छा होगा, बैंक उतनी ही कम ब्याज दर पर लोन ऑफर करेंगे।
- अच्छा स्कोर = कम ब्याज दर
- खराब स्कोर = लोन मंजूरी में मुश्किल
समय पर EMI और क्रेडिट कार्ड बिल चुकाना जरूरी है।
2. लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियोLTV बताता है कि प्रॉपर्टी की वैल्यू के मुकाबले बैंक कितना लोन देगा।
- ज्यादा डाउन पेमेंट → कम ब्याज दर
- कम डाउन पेमेंट → ब्याज दर ज्यादा
अर्थव्यवस्था और महंगाई का सीधा असर ब्याज दरों पर पड़ता है।
- महंगाई बढ़ने पर → ब्याज दरें बढ़ती हैं
- स्थिर बाजार में → ब्याज दरें घट जाती हैं
बैंक यह जांचते हैं कि आपकी इनकम स्थिर है या नहीं।
- स्थाई नौकरी + अच्छी इनकम → बेहतर ब्याज दर
- अस्थाई नौकरी / कम इनकम → महंगी ब्याज दर
- पूरे टेन्योर में ब्याज दर स्थिर रहती है
- EMI में कोई उतार-चढ़ाव नहीं
- फ्लोटिंग से थोड़ा महंगा लेकिन स्थिरता चाहने वालों के लिए सही
- ब्याज दरें मार्केट की चाल पर बदलती हैं
- ब्याज दर घटे → EMI कम
- ब्याज दर बढ़े → EMI महंगी
👉 इसमें रिस्क और फायदा दोनों हैं।
7. डाउन पेमेंट का आकार- ज्यादा डाउन पेमेंट → बैंक का रिस्क घटता है → ब्याज दर कम
- कम डाउन पेमेंट → ज्यादा ब्याज दर
कोशिश करें कि कम से कम 20-25% डाउन पेमेंट करें।
8. लोन की अवधि (Tenure)- लंबी अवधि → EMI कम लेकिन कुल ब्याज ज्यादा
- छोटी अवधि → EMI ज्यादा लेकिन ब्याज की बचत
अपनी क्षमता के हिसाब से संतुलित अवधि चुनें।
निष्कर्ष:
होम लोन EMI केवल ब्याज दर पर नहीं, बल्कि कई फैक्टर पर निर्भर करती है। अगर आप समय पर EMI भरें, अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखें और ज्यादा डाउन पेमेंट करें, तो लोन सस्ता हो सकता है और आपका बोझ भी कम होगा।
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