भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। रिसर्च फर्म Canalys की नई रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका को स्मार्टफोन निर्यात करने के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। यह उपलब्धि ‘मेक इन इंडिया’ और सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम की वजह से संभव हुई है, जिसने इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को नई दिशा दी है।
भारत आगे, चीन पीछेअप्रैल-जून 2025 की तिमाही में अमेरिका को निर्यात किए गए स्मार्टफोन्स में भारत की हिस्सेदारी बढ़कर 44% हो गई, जबकि 2024 की इसी अवधि में यह केवल 13% थी। दूसरी ओर, चीन की हिस्सेदारी 61% से घटकर 25% रह गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव भारत की उत्पादन क्षमता में तेजी से हो रहे विस्तार और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का नतीजा है।
इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में जबरदस्त ग्रोथइलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2014-15 से 2024-25 के बीच सेक्टर में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है।
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इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग निर्यात
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2014-15: ₹38,000 करोड़
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2024-25: ₹3.27 लाख करोड़
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यानी लगभग 8.5 गुना वृद्धि
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मोबाइल फोन का प्रोडक्शन
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2014-15: ₹18,000 करोड़
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2024-25: ₹5.45 लाख करोड़
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यानी 30 गुना से ज्यादा विस्तार
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मोबाइल फोन निर्यात
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2014-15: ₹1,500 करोड़
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2024-25: ₹2 लाख करोड़
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यानी 127 गुना उछाल
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भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की संख्या भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।
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2014-15: सिर्फ 2 यूनिट्स
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2024-25: बढ़कर 300 यूनिट्स
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यानी 150 गुना बढ़ोतरी
इस विस्तार से न केवल भारत की उत्पादन क्षमता बढ़ी है, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी मिला है।
आयात पर निर्भरता घटीभारत अब पहले की तरह आयातित स्मार्टफोन्स पर निर्भर नहीं है।
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2014-15 में घरेलू मांग का 75% हिस्सा आयातित फोनों से पूरा होता था।
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2024-25 में यह घटकर केवल 0.02% रह गया है।
यह बदलाव दर्शाता है कि भारत अब न केवल अपनी घरेलू जरूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी स्मार्टफोन निर्यात का बड़ा केंद्र बन गया है।
मेक इन इंडिया और PLI स्कीम का असरविशेषज्ञों का कहना है कि यह परिवर्तन बिना सरकार की मेक इन इंडिया पहल और PLI स्कीम के संभव नहीं था। इन योजनाओं ने विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया और लोकल मैन्युफैक्चरिंग को गति दी।
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