एक समय था जब मिलेनियल्स (1980–1996) अपने करियर की दौड़ में धार्मिक विश्वासों, ज्योतिष और पारंपरिक आध्यात्मिकता को पीछे छोड़ चुके थे। वे इन बातों को “पुरानी पीढ़ियों के अंधविश्वास” की तरह देखने लगे थे। लेकिन अब जो पीढ़ी इंटरनेट और सोशल मीडिया के साथ बड़ी हुई – जेन-जी (1997 के बाद जन्मी पीढ़ी) – वो एक अलग ही रास्ता अपना रही है। ये पीढ़ी आध्यात्मिकता और एस्ट्रोलॉजी की ओर लौट रही है, लेकिन पुराने ढंग से नहीं, नए अंदाज और मकसद के साथ।
नई स्पिरिचुअलिटी: आस्था नहीं, आत्म-देखभालजेन-जी के लिए आध्यात्मिकता सिर्फ पूजा-पाठ या पंडित से मुहूर्त पूछना नहीं है। अब ये है:
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अपनी राशि के अनुसार डेली अफर्मेशन्स बोलना
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मून साइकल (चंद्रमा की चाल) के हिसाब से जीवन की प्लानिंग करना
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लव रिलेशनशिप्स में कुंडली कम्पैटिबिलिटी देखना
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रेट्रोग्रेड और जन्म कुंडली के प्रभावों को ध्यान में रखकर डिसीजन लेना
ये सब अब “विश्वास” नहीं, बल्कि माइंडफुलनेस रिचुअल्स बन चुके हैं – ठीक उसी तरह जैसे मेडिटेशन, योग या जर्नलिंग।
सोशल मीडिया बना एस्ट्रोलॉजी का नया मंदिरजेन-जी को सोशल मीडिया पर जो दिखता है, वही उन्हें आकर्षित करता है। इंस्टाग्राम पर एस्ट्रोलॉजी से जुड़े मीम्स, बर्थ चार्ट रीडिंग्स, टैरो कार्ड रीडिंग्स, और "Mercury Retrograde" वॉर्निंग्स खूब वायरल होती हैं।
साथ ही सेलिब्रिटीज का इन ट्रेंड्स में हिस्सा लेना (जैसे विराट कोहली और अनुष्का शर्मा की आध्यात्मिक यात्राएं) इसे “कूल” और “सेल्फ-केयर” के टैग के साथ जोड़ देता है।
अब पंडित और गुरु सिर्फ मंदिर तक सीमित नहीं। वे रील्स बनाते हैं, लाइव सेशन करते हैं, और युवाओं को फॉलोअर्स की तरह गाइड करते हैं।
इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर कई नए स्पिरिचुअल लीडर्स उभरे हैं जो "डेली राशिफल" या "मंथली एस्ट्रो गाइड" से लेकर थैरेपी जैसे एस्ट्रो सेशंस देते हैं – और यह सब कुछ "judgment free" भाषा में।
जीवन की अनिश्चितता:
फुलटाइम जॉब्स, रिलेशनशिप्स और भविष्य को लेकर जेन-जी असमंजस में रहती है। एस्ट्रोलॉजी उन्हें एक sense of control देती है।
मेंटल हेल्थ सपोर्ट:
आज की महंगी थैरेपी के दौर में कुंडली रीडिंग या टैरो कार्ड एक अफोर्डेबल और इमोशनली सॉफ्ट ऑप्शन लगती है।
ट्रॉमा हीलिंग:
जेन-जी खुलकर अपने बचपन या पारिवारिक ट्रॉमा को स्वीकार करती है। ज्योतिष और रिचुअल्स उन्हें हीलिंग में मदद करते हैं।
साइंटिफिक अप्रोच:
वे एस्ट्रोलॉजी को सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि साइकोलॉजी और पैटर्न एनालिसिस के तौर पर भी समझते हैं। उनका नजरिया सवाल पूछने वाला है – और उन्हें जो जवाब तर्कसंगत लगता है, वे वही अपनाते हैं।
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भारत ही नहीं, अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी एस्ट्रोलॉजी की मांग तेजी से बढ़ी है।
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अब लोग राशि अनुसार ज्वैलरी, परफ्यूम, यहां तक कि इलेक्ट्रॉनिक्स भी खरीदने लगे हैं।
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ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे Co-Star, The Pattern, Sanctuary जैसी ऐप्स युवाओं में काफी पॉपुलर हैं।
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