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पुरी के जगन्नाथ मंदिर के 10 रहस्य! जिनके आगे विज्ञान भी हो गया मौन, सदियों से अनसुलझे हैं इन चमत्कारों के जवाब

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ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर न केवल भारत के चार धामों में से एक है, बल्कि अपने साथ कई ऐसे रहस्य भी समेटे हुए है, जिन्हें आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है। ये रहस्य भक्तों को अचंभित करते हैं और वैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। यहां हम आपको पुरी जगन्नाथ मंदिर से जुड़े ऐसे ही 10 अद्भुत और अनसुलझे रहस्यों के बारे में बता रहे हैं, जो इस पवित्र स्थल को और भी खास बनाते हैं।

1. अदृश्य परछाई का रहस्य
मंदिर के शिखर की परछाई कभी ज़मीन पर नहीं बनती। यह एक ऐसा रहस्य है जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है। दिन का कोई भी समय हो, मंदिर का मुख्य शिखर, जो लगभग 214 फीट ऊँचा है, अपनी परछाई नहीं छोड़ता। विज्ञान इसे कैसे समझाएगा, यह अभी भी एक पहेली है।

2. हवा के विपरीत लहराता झंडा
मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। यह एक ऐसा नजारा है जो भौतिकी के नियमों को चुनौती देता प्रतीत होता है। आमतौर पर ध्वज हवा की दिशा में लहराता है, लेकिन यहाँ का ध्वज इस नियम का अपवाद है।

3. शिखर का रहस्य

जगन्नाथ मंदिर के शिखर के ऊपर कभी कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं दिखाई देता। यह तब और भी रहस्यमय हो जाता है जब आप देखते हैं कि आस-पास के अन्य स्थानों पर पक्षी सामान्य रूप से उड़ते हैं। इसके पीछे का कारण आज तक अज्ञात है।

4. सिंहद्वार पर लहरों का रहस्यमय सन्नाटा

मंदिर में प्रवेश करते ही समुद्र की लहरों की आवाज़ सुनाई नहीं देती, लेकिन मंदिर से बाहर निकलते ही लहरों का शोर फिर से सुनाई देने लगता है। यह ध्वनि परिवर्तन इतना तीव्र और स्पष्ट होता है कि इसे देखने वाला हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है।

5. कभी कम न होने वाला महाप्रसाद

यह एक अद्भुत चमत्कार है कि मंदिर में बनाया जाने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता, चाहे कितने भी भक्त आएँ। प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं, लेकिन प्रसाद हमेशा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है। यह भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक है।

6. बर्तनों का अद्भुत पाकशास्त्र
मंदिर की रसोई में प्रसाद बनाने की विधि भी अपने आप में एक रहस्य है। यहाँ सात बर्तन एक के ऊपर एक रखे जाते हैं और आश्चर्यजनक रूप से, सबसे ऊपर वाले बर्तन में प्रसाद पहले पकता है, जबकि नीचे वाले बर्तन बाद में पकते हैं। यह पाककला का एक अनूठा उदाहरण है।

7. भगवान की मूर्ति का 'ब्रह्म द्रव्य'

जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों के अंदर एक 'ब्रह्म द्रव्य' होता है, जिसे हर 12 साल में नई मूर्तियों में स्थापित किया जाता है। इस प्रक्रिया को 'नव कलेवर' कहा जाता है। इस रहस्यमयी पदार्थ को देखने या छूने की किसी को अनुमति नहीं है, और इसका स्थानांतरण अत्यंत गोपनीयता के साथ किया जाता है।

8. बाहर की दुर्गंध अंदर नहीं आती: इसी प्रकार, मंदिर के बाहर एक स्वर्ग द्वार है, जहाँ मोक्ष प्राप्ति के लिए शवों को जलाया जाता है, लेकिन आपको जलती हुई लाशों की गंध तभी महसूस होगी जब आप मंदिर से बाहर निकलेंगे।

9. प्रतिदिन ध्वज बदलने का नियम
मंदिर का ध्वज प्रतिदिन बदला जाता है और यह कार्य प्रतिदिन एक ही व्यक्ति द्वारा किया जाता है। यह एक जोखिम भरा कार्य है क्योंकि उसे 214 फीट ऊँची चोटी पर चढ़कर ध्वज बदलना होता है। यदि ध्वज एक दिन भी नहीं बदला जाता है, तो ऐसी मान्यता है कि मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो जाता है, जो एक कठोर और महत्वपूर्ण नियम है।

10. चक्र की दिशा का रहस्य
मंदिर के शीर्ष पर स्थित 'नील चक्र' किसी भी दिशा से देखने पर हमेशा आपके सामने ही दिखाई देता है। चाहे यह एक दृष्टि भ्रम हो या कुछ और, यह भी एक अनसुलझा रहस्य है।

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