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लखनऊ में जमीन-मकान खरीदना अब होगा महंगा, 10 साल बाद नया डीएम सर्किल रेट लागू, 1 अगस्त से बढ़ेगी रजिस्ट्री लागत

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राजधानी लखनऊ में अब जमीन, मकान, दुकान या व्यावसायिक संपत्ति खरीदना पहले से महंगा हो जाएगा। दस वर्षों के लंबे अंतराल के बाद प्रशासन ने नया डीएम सर्किल रेट प्रस्तावित किया है, जिसमें 15% से लेकर 25% तक की बढ़ोतरी की गई है। यह संशोधित सर्किल रेट 1 अगस्त 2025 से लागू होंगे।

सभी श्रेणियों की संपत्तियों पर बढ़े दाम

प्रशासन द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, नए सर्किल रेट में निम्नलिखित श्रेणियों पर औसतन इतनी बढ़ोतरी की गई है:

  • कृषि भूमि पर: 15% तक की बढ़ोतरी

  • व्यावसायिक संपत्तियों पर: 25% तक की बढ़ोतरी

  • बहुमंजिला इमारतों पर: 20% तक की वृद्धि

  • दुकानें, कार्यालय और गोदाम आदि पर: औसतन 20% की वृद्धि

इस बढ़ोतरी के साथ अब रजिस्ट्री, स्टांप ड्यूटी और अन्य शुल्क भी बढ़ जाएंगे, जिससे संपत्ति खरीदने की कुल लागत में इजाफा होगा।

10 साल बाद बड़ा फैसला

यह पहला मौका है जब दस साल बाद डीएम सर्किल रेट में व्यापक बदलाव किया गया है। प्रशासन के अनुसार, मौजूदा सर्किल रेट बाजार दरों से काफी पीछे चल रहे थे, जिससे राजस्व हानि हो रही थी। नई दरों के जरिए सरकार को राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद है, वहीं यह बदलाव बाजार के यथार्थ मूल्य के करीब लाने की कोशिश भी मानी जा रही है।

आपत्तियों के बाद लागू होंगे नए रेट

नए सर्किल रेट को लेकर जन आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं, जिसे 31 जुलाई तक सुना जाएगा। उसके बाद 1 अगस्त से नए रेट लागू कर दिए जाएंगे। प्रशासन का कहना है कि जिन इलाकों में तेजी से शहरीकरण और निर्माण कार्य हुआ है, वहां सर्किल रेट में अपेक्षाकृत अधिक वृद्धि की गई है।

खरीदारों और डेवलपर्स पर असर

इस वृद्धि का सीधा असर संपत्ति खरीदने वालों और बिल्डरों, डेवलपर्स पर पड़ेगा। रजिस्ट्री के समय चुकाई जाने वाली राशि अधिक होगी, जिससे कुल निवेश लागत बढ़ेगी। वहीं, बिल्डर्स का मानना है कि यह कदम बाजार में मंदी ला सकता है, खासकर उन खरीदारों के लिए जो सीमित बजट में घर लेना चाह रहे हैं।

रियल एस्टेट पर मिले-जुले प्रभाव

रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि एक ओर यह निर्णय राजस्व बढ़ाने और कालाबाजारी रोकने के लिए सकारात्मक है, वहीं दूसरी ओर यह उन लोगों के लिए चुनौती बन सकता है जो पहली बार घर खरीदने की योजना बना रहे थे। कुछ बिल्डरों ने यह भी कहा है कि सरकार को समानांतर राहत योजनाएं भी लानी चाहिए, ताकि आम नागरिक को अतिरिक्त बोझ न उठाना पड़े।

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