ओडिशा पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक ऐसे शातिर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसकी कहानी किसी जासूसी फिल्म से कम नहीं है। कश्मीर के कुपवाड़ा जिले का रहने वाला 37 वर्षीय सईद इशान बुखारी उर्फ डॉ. इशान बुखारी खुद को कभी न्यूरोसर्जन, कभी सेना का डॉक्टर, तो कभी प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का अधिकारी बताकर लोगों को ठगता था। पुलिस को जब उसके जालसाजी के दस्तावेज़ और भेष बदलने की योजनाओं का पता चला, तो वे भी हैरान रह गए।
भेष बदलने में माहिर जालसाज़ओडिशा के जयपुर जिले के नेउलपुर गांव से गिरफ्तार हुआ यह ठग लंबे समय से अलग-अलग राज्यों में अपनी पहचान बदल-बदल कर ठगी को अंजाम दे रहा था। एसटीएफ को गुप्त सूचना के आधार पर उसे पकड़ा गया, जिसके पास से 100 से ज्यादा फर्जी दस्तावेज, विदेशी डिग्रियों के नकली प्रमाणपत्र, आधार कार्ड, चेक बुक, एटीएम कार्ड और विजिटिंग कार्ड बरामद किए गए।
अमेरिका की डिग्री और मेडिकल कॉलेजों के फर्जी प्रमाणपत्रसईद इशान ने खुद को कॉर्नेल यूनिवर्सिटी (अमेरिका) से स्नातक बताया। इसके अलावा तमिलनाडु के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज और कैनेडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ सर्विसेज़ से भी उसने नकली मेडिकल डिग्रियां बनवा रखी थीं। वह लोगों को विश्वास दिलाने के लिए इन डिग्रियों का इस्तेमाल कर डॉक्टर बन जाता था और कई जगहों पर नौकरी और रिश्ते बनाने के लिए फर्जीवाड़ा करता था।
एनआईए और आईएसआई से संबंध के दावेसबसे हैरानी की बात यह है कि वह खुद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अधिकारियों का करीबी बताता था। इतना ही नहीं, STF के अधिकारियों ने खुलासा किया कि उसने कुछ लोगों को यह भी बताया था कि उसका पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से भी संपर्क है। हालांकि, पुलिस ने फिलहाल ISI से उसके संबंध की पुष्टि नहीं की है, लेकिन जांच जारी है।
छह महिलाओं से शादी और कई प्रेम संबंधइस जालसाज़ की निजी ज़िंदगी भी जालसाजी से भरी थी। पुलिस के अनुसार उसने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, कश्मीर समेत कम से कम छह महिलाओं से शादी की है। इसके अलावा वह विभिन्न वेबसाइट्स और ऐप्स पर सक्रिय था और फर्जी प्रोफाइल्स बनाकर महिलाओं को अपने जाल में फंसाता था।
देशभर में फैला नेटवर्क, कई राज्यों की पुलिस अलर्टएसटीएफ के महानिरीक्षक जेएन पंकज ने बताया कि आरोपी के खिलाफ IPC की कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। साथ ही कश्मीर, पंजाब और ओडिशा पुलिस की संयुक्त टीम उससे पूछताछ कर रही है। कश्मीर पुलिस पहले ही उस पर गैर-जमानती वारंट जारी कर चुकी थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंताइस मामले ने न केवल साइबर फ्रॉड और पहचान जालसाजी की पोल खोली है, बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि कैसे एक व्यक्ति देश की सुरक्षा एजेंसियों, मेडिकल संस्थानों और सरकारी तंत्र का नाम लेकर जनता को ठग रहा था। यह सवाल उठता है कि इतने वर्षों तक वह कैसे बचता रहा और क्या इसके पीछे कोई संगठित गिरोह भी सक्रिय है?
एनआईए से संपर्क में STFफिलहाल, STF ने यह जानकारी दी है कि वे एनआईए से संपर्क में हैं और जाँच के लिए सभी दस्तावेज सौंपे जा रहे हैं। इस मामले में आतंकी साजिश की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं।
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