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सुक्खू की जॉब ट्रेनी पॉलिसी बेरोजगार युवाओं के साथ छल : सतपाल सती

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धर्मशाला, 20 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश के पूर्व भाजपा अध्यक्ष एवं विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों में ग्रुप-ए, बी और सी के पदों की भर्ती पर सुक्खू सरकार की नई योजना का कड़े शब्दों पर विरोध किया है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे का मकसद अच्छे उम्मीदवार भर्ती करना नहीं बल्कि पैसे बचाना है ताकि पूरा वेतन देने से बच सकें। उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार शुरु से ही बेरोजगारों के साथ छल करती आई है, जिसके कारण प्रदेश के युवा सड़कों पर खाक छान रहे हैं।

रविवार को जारी एक प्रेस बयान में उन्होंने कहा कि जॉब ट्रेनी पॉलिसी ने युवाओं में गहरी चिंता उत्पन्न कर दी है। यह पॉलिसी ग्रुप ए, बी, और सी के पदों पर अनुबंध भर्ती प्रणाली को समाप्त करने के लिए लाई गई है। इसके अंतर्गत उम्मीदवारों को दो वर्षों के लिए ट्रेनी के रूप में नियुक्त किया जाएगा, लेकिन नियमितीकरण की कोई ठोस गारंटी नहीं है। ट्रेनी को पेंशन, छुट्टियां और अन्य भत्ते जैसे नियमित कर्मचारियों के लाभ नहीं मिलेंगे।

सतपाल सत्ती ने आरोप लगाया कि भर्ती के लिए स्वायत्त निकायों और एजेंसियों की भूमिका अस्पष्ट है, जिससे भ्रष्टाचार या पक्षपात का डर हो सकता है। इसके अलावा ट्रेनी को अतिरिक्त काम के बिना समान लाभ न मिलने से शोषण करना है। उन्होंने कहा कि हिमाचल की वर्तमान सरकार इस समय में दो साल के कॉन्ट्रैक्ट पीरियड को भी नियमित करने में अढाई पौने तीन साल लगा रही है तो दूसरी बार टेस्ट में कितनी देरी लगेगी। क्या बैच वाइज नियुक्ति में भी टेस्ट होगा। पालिसी का मतलब रोजगार नहीं देना है। दूसरी बार टेस्ट ले कर भी सरकार अपना खजाना ही भरेगी।

सत्ती ने यह भी आरोप लगाया कि अभी 31 महीने में केवल 900 नियमित नौकरी इस सरकार ने दी है बाकी वन मित्र आदि कच्ची भर्तियां की हैं। अब इस पालिसी के बाद नियुक्ति पाने वाले भी इस सरकार में नियमित नही होंगे। सरकार 31 महीने में टेस्ट नहीं करवा पाई वो नियुक्ति के 24 महीने बाद क्या करवा पाएगी, इस पर प्रश्न चिन्ह है।

उन्होंने कहा जॉब ट्रेनी पॉलिसी 2025 युवाओं के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी। इसके माध्यम से पेशेवरता और प्रशासनिक सुधार लाने का दावा किया गया है, लेकिन परिणामस्वरूप युवाओं में असुरक्षा, मानसिक तनाव और आर्थिक दबाव में वृद्धि हो सकती है। इस पालिसी से स्पष्ट है कि हिमाचल सरकार युवा विरोधी है।

(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया

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