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तीन ऐतिहासिक नाटकों के माध्यम से डोगरी भाषा की पहचान को मिली नई दिशा

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जम्मू, 31 मई . जम्मू-कश्मीर राज्य पुरस्कार प्राप्तकर्ता और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की जूनियर फेलोशिप धारक पवन वर्मा ने अपनी तीसरी प्रगति रिपोर्ट पूरी कर ली है. यह रिपोर्ट डोगरी थिएटर के उस प्रभावशाली योगदान को रेखांकित करती है, जिसने भाषा की साहित्यिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूती दी है. रिपोर्ट में तीन महत्वपूर्ण डोगरी नाटकों पर चर्चा की गई है जिन्होंने डोगरी साहित्य के विकास में निर्णायक भूमिका निभाई. पहला नाटक सरपंच है, जो ग्रामीण जीवन और सामाजिक मुद्दों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है. यह पहला डोगरी नाटक था जिसे व्यापक लोकप्रियता मिली और इसने क्षेत्रीय सांस्कृतिक अभिव्यक्ति में डोगरी थिएटर को प्रमुख स्थान दिलाया.

दूसरा नाटक घुमायई है, जिसने डोगरी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. इस नाटक का विदेशों में मंचन हुआ और वैश्विक दर्शकों को डोगरी की साहित्यिक गहराई और भावनात्मक संवेदना से परिचित कराया गया. तीसरा नाटक आले है जिसे पाकिस्तान में मंचित किया गया. यह डोगरी थिएटर के इतिहास में पहली बार हुआ. यह प्रस्तुति केवल एक नाट्य उपलब्धि नहीं थी, बल्कि सांस्कृतिक कूटनीति का प्रतीक भी बनी, जिसने साझा विरासत और कथानक की शक्ति को सीमाओं से परे जाकर जोड़ा.

रिपोर्ट तैयार करने के लिए पवन वर्मा ने इन नाटकों से जुड़े लेखक, निर्देशक और रंगमंच प्रेमियों से साक्षात्कार किए, जिससे लेखन, मंचन और दर्शकों की प्रतिक्रिया का समग्र विश्लेषण संभव हो सका. संस्कृतिकर्मियों और रंगमंच विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट का स्वागत करते हुए इसे डोगरी प्रदर्शन कला के संरक्षण और प्रचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान बताया है. यह प्रयास डोगरी भाषा की विरासत को संजोने और भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगा.

/ राहुल शर्मा

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