उदयपुर, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran News). विश्व वास्तुकला दिवस पर शुरू हुआ उदयपुर का अद्भुत कला उत्सव ‘रंगत–रास्ता री…’ अब अपने उत्कर्ष पर है. बीते छह दिनों में यह केवल रंगों का उत्सव नहीं रहा, बल्कि पूरे शहर का सामूहिक सृजन और आत्मअभिव्यक्ति का अनूठा प्रतीक बन गया है. sunday को इस कला यात्रा का सातवां दिन है, और उदयपुरवासियों से आह्वान है कि वे आएं और इस रंगीन उत्सव को प्रत्यक्ष देखें.
अंडरपास बना ‘उदयपुर का नया आर्ट लैंडमार्क’
आरटीओ अंडरपास, जो कभी सिर्फ एक राह था, आज उदयपुर का नया कला-स्थल बन गया है. हर दीवार अब अपनी कहानी कहती है — गवरी, गणगौर, झीलों, मंदिरों और लोककथाओं के रंगों में लिपटी हुई. इन चित्रों में झलकता है उदयपुर की आत्मा और वह भावना — “यह शहर हमारा है, इसकी दीवारें हमारी पहचान हैं.”
संपूर्ण शहर बना कलाकार — 4300 से अधिक लोगों की भागीदारी
पिछले छह दिनों में 4300 से अधिक नागरिकों ने अपने 8600 हाथों से दीवारों को रंगों से सजाया. इसमें 95 वर्षीय कर्नल किशोर पंचोली की अनुभवी ब्रश स्ट्रोक्स से लेकर 6 महीने के रिधित बापना की नन्ही हथेलियाँ तक शामिल रहीं — यह दृश्य उदयपुर की सामूहिक चेतना का जीवंत प्रतीक बना.
यूडीए आयुक्त राहुल जैन बोले — “यह शहर की आत्मा का रंगीन उत्सव है”
यूडीए आयुक्त राहुल जैन ने कहा कि यह आयोजन केवल दीवारों को नहीं, बल्कि शहर की आत्मा को रंगों में अभिव्यक्त करने का माध्यम बन गया है. अब इस उत्साह को शहर के अन्य हिस्सों को संवारने में लगाया जाएगा. उत्सव संयोजक आर्किटेक्ट सुनील एस. लड्ढा ने बताया कि जो काम 10 दिन में पूरा करने का लक्ष्य था, वह उदयपुरवासियों के जोश और सहयोग से केवल सात दिनों में पूर्णता की ओर है.
संस्थाओं का सामूहिक सहयोग बना प्रेरणा
यह उत्सव अर्बन स्केचर्स उदयपुर, क्रिएटिव सर्किल, एसा फॉर यू और यूडीए के सहयोग से आयोजित हुआ, जिसमें वंडर सीमेंट, बिरला ओपस पेंट्स, बीएनआई उदयपुर, आईआईए, आईआईआईडी, यूसीसीआई और उदयपुर ब्लॉग जैसी संस्थाओं ने भागीदारी निभाई.
कला से प्रेरणा — 95 वर्ष के कर्नल किशोर पंचोली बने सबसे वरिष्ठ कलाकार
कर्नल किशोर पंचोली (95) ने दीवार पर ब्रश से पहली रेखा खींची तो युवाओं की आंखों में नई प्रेरणा चमक उठी. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “कला उम्र नहीं देखती, बस मन रंगों में बह जाता है.” उनके ब्रश स्ट्रोक्स ने दीवारों पर वह संदेश उकेरा जो हर पीढ़ी को प्रेरित करता है — सृजन कभी बूढ़ा नहीं होता.
छह महीने का कलाकार — नन्हा रिधित भी बना रंगों का हिस्सा
मात्र छह माह का रिधित बापना, जब अपनी मां की गोद में बैठा दीवार पर हथेली की छाप छोड़ रहा था, तो पूरा माहौल मुस्कुराहटों से भर गया. वह छाप केवल रंग नहीं थी — बल्कि उम्मीद, प्रेम और भविष्य की नई कहानी थी.
टेंपसंस करेगा कलाकारों का सम्मान
उत्सव संयोजक सुनील एस. लड्ढा ने बताया कि अर्बन स्केचर्स कलाकारों के कार्य को देखते हुए शहर की कला संस्था टेंपसंस सभी कलाकारों को प्रोत्साहन और सम्मान प्रदान करेगी.
अब जब यह सातवां दिन उदयपुर के इतिहास में दर्ज होने जा रहा है —
तो साढ़े चार हजार मुस्कानें हर उदयपुरवासी को बुला रही हैं —
“आओ, देखो अपने शहर को रंगों में बोलते हुए… देखो ‘रंगत–रास्ता री…’”
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