जम्मू, 7 जुलाई (Udaipur Kiran) । मिशन स्टेटहुड के अध्यक्ष सुनील डिम्पल ने मीडिया से बातचीत करते हुए जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा न देने पर तीव्र विरोध दर्ज किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और सभी 90 निर्वाचित विधायकों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए। डिम्पल ने कहा कि राज्य का दर्जा और अनुच्छेद 370 की बहाली, भारतीय जनता पार्टी और जम्मू-कश्मीर की सभी राजनीतिक पार्टियों का प्रमुख राजनीतिक मुद्दा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि 5 अगस्त 2019 को संसद में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्य का दर्जा बहाल करने का जो वादा किया गया था, वह अब तक अधूरा है और कोई समयसीमा घोषित नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए के तहत विशेष दर्जा, रोजगार और भूमि अधिकार पहले ही छीने जा चुके हैं, और अब राज्य का दर्जा भी लगातार टाला जा रहा है। डिम्पल ने आरोप लगाया कि भाजपा की कथनी और करनी में भारी अंतर है और जनता अब उनके आश्वासनों पर भरोसा खो चुकी है। डिम्पल ने कहा कि सत्ता की लालसा और इच्छाशक्ति की कमी के चलते केंद्र सरकार, गठबंधन सरकार और सभी विधायक राज्य की बहाली के प्रति गंभीर नहीं हैं। उन्होंने मांग की कि संसद के मानसून सत्र में राज्य पुनर्बहाली का विधेयक लाया जाए।
उन्होंने उमर अब्दुल्ला से भी विशेष विधानसभा सत्र बुलाने और देरी के कारणों पर बहस कराने की अपील की। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि घाटी में बीजेपी के प्लांटेड नेता केंद्र के इशारे पर केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति बनाए रखने की बातें कर रहे हैं। डिम्पल ने कहा कि सभी 90 विधायक केवल वेतन, गाड़ी और प्रोटोकॉल का आनंद ले रहे हैं, लेकिन राज्य की बहाली के लिए कोई संघर्ष नहीं कर रहे। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी और संसद सत्र के दौरान जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन होगा।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
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