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मोतियाबिंद सर्जरी से लौटेगी रोशनी, ठाणे जिले में शासन की मुहिम

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मुंबई, 22जुलाई ( हि.स.) । अगर मोतियाबिंद का समय पर इलाज न किया जाए, तो स्थायी अंधापन हो सकता है। लेकिन अगर सही समय पर ध्यान दिया जाए, तो एक साधारण ऑपरेशन से आँखों की रौशनी वापस आ जाती है। इसी उद्देश्य से, जन स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक डॉ. अशोक नंदपुरकर ने बताया कि ठाणे ज़िले में ‘मोतियाबिंद मुक्त महाराष्ट्र’ अभियान युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के जन्मदिन के अवसर पर ठाणे सिविल अस्पताल में मोतियाबिंद मुक्त महाराष्ट्र के लिए एक विशेष अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ. नंदपुरकर ने कहा कि मोतियाबिंद के मरीज़ को सर्जरी के तुरंत बाद आँखों की रौशनी वापस मिल जाती है। कुछ मिनटों की प्रक्रिया, थोड़ी सी देखभाल और जीवन भर के लिए आँखों की रौशनी वापस आ जाती है। यह सेवा ज़िले के हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप-ज़िला अस्पताल, ज़िला अस्पताल के साथ-साथ पंजीकृत निजी अस्पतालों में भी उपलब्ध है। कोई पहचान पत्र नहीं, कोई पैसा नहीं। बस जाँच के लिए आइए, बाकी हम देख लेंगे, उन्होंने ज़ोर देकर कहा।

यह अभियान सिर्फ़ एक स्वास्थ्य पहल नहीं है, बल्कि समाज को अंधेपन के अंधकार से उजाले की ओर ले जाने का एक दायित्व है। एक दृष्टिहीन व्यक्ति न सिर्फ़ देख नहीं पाता, बल्कि वह जीवन के हर पल दूसरों पर निर्भर रहता है। उसका जीवन सीमित हो जाता है। ज़िला शल्य चिकित्सक डॉ. कैलाश पवार ने कहा कि अगर इससे बचना है, तो मोतियाबिंद का समय पर इलाज ही एकमात्र उपाय है।

इस अभियान का उद्देश्य ज़िले के हर बुज़ुर्ग, ख़ासकर 40 साल से ज़्यादा उम्र के नागरिकों, आदिवासियों और महिलाओं की आँखों की जाँच करवाना है। मोतियाबिंद आँखों की बीमारी नहीं, बल्कि एक गंभीर स्थिति है जो अंधेपन का द्वार खोलती है। कई लोग इसे नज़रअंदाज़ कर जीवन की रोशनी खो देते हैं। गणमान्य लोगों ने बताया कि इसे रोकने के लिए ज़िला स्वास्थ्य व्यवस्था अब लोगों के घर-घर जाकर आँखों की जाँच करेगी। इस कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के उपसंचालक डॉ. अशोक नंदापुरकर, जिला शल्य चिकित्सक कैलास पवार, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गंगाधर पारंगे, डॉ. धीरज महांगड़े, डॉ. मृणाल राहुद, डॉ. प्रसन्नकुमार देशमुख, डॉ. शुभांगी अंबाडेकर, डॉ. संगीता माकोडे, डॉ. अर्चना पवार, डॉ. गौरी कुलकर्णी और अन्य प्रतिष्ठित चिकित्सा अधिकारी उपस्थित थे.

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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