रांची, 30 जून (Udaipur Kiran) । आदिवासी छात्र संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उरांव के नेतृत्व में 170 वीं हूल दिवस सोमवार को मनाया गया।
मोरहाबादी स्थित सिद्धो-कान्हो पार्क में आज बाबा सिद्धो-कान्हो की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई और झारखंड के सभी वीर महापुरुषों को याद किया गया।
इस मौके पर संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सुशील उरांव ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने कभी भी अंग्रेजी हुकूमत को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने हूल क्रांति कर अंग्रेजों की चूलें हिला दी थीं। उन्होंने बताया कि हूल के जरिए शोषण के खिलाफ आवाज उठाया गया। अंग्रेजों के 200 साल के शासन में कभी भी जनजातीय समाज ने अंग्रेजों की हुकूमत को स्वीकार नहीं किया और वे जंगल में घूमते रहे। ईस्ट इंडिया कंपनी से जंग लड़ी। जनजातीय समाज का कहना था कि मेरी जमीन, मेरा आसमान और मेरी प्रकृति, तो हम गोरे शासन को टैक्स क्यों दें।
जिला अध्यक्ष राजू उरांव ने कहा हूल के बाद शुरू अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष शुरू हुआ था। संथाल हूल एशिया का सबसे बड़ा आंदोलन था। इसमें कई गांव आंदोलन के लिए निकल पड़े थे, लेकिन जो शुरुआती आंदोलन था, वह अंग्रेजों के खिलाफ नहीं था। वह साहूकारों और महाजनों के खिलाफ था। इसके बाद जब अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ा, तब यह हूल आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ भी शुरू हुआ।
डीएसपीएमयू इकाई के अध्यक्ष विवेक तिर्की ने कहा कि आज की पीढ़ी को इतिहास बताने की जरूरत है।
उस समय जो आंदोलन हुए, उसमें लोग पहले साहूकारों के खिलाफ और उसके बाद अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुए और हूल आंदोलन सामने आया। उन्होंयने कहा कि हमारे छात्रों को सिलेबस में हूल आंदोलन से जुड़ी चीजें पढ़ायी जाती हैं, लेकिन विद्यार्थियों को पूरी जानकारी नहीं दी जाती है। झारखंड के इतिहास में हूल आंदोलन को शामिल करने की जरूरत है।
इस मौके पर केंद्रीय मीडिया प्रभारी सुमित उरांव,
रांची जिला अध्यक्ष राजू उरांव, डीएसपीएमयू इकाई अध्यक्ष विवेक तिर्की, अमित उरांव, छोटू उरांव, कर्मा उरांव, आनंद उरांव, प्रकाश उरांव, प्रदीप उरांव, पुष्पा उरांव, अनिकेत तिर्की सहित अन्ये सदस्य उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
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