नई दिल्ली, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के पुलिस थानों से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही देने के अनुमति देने के दिल्ली के उप-राज्यपाल के नोटिफिकेशन पर सवाल खड़ा किया। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि उप-राज्यपाल को स्थान चुनने का अधिकार है, लेकिन वो पुलिस थाने ही क्यों वे कोई तटस्थ स्थान भी हो सकता है। मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एएसजी चेतन शर्मा से कहा कि आखिर निष्पक्ष ट्रायल का मतलब क्या है। क्या इस नोटिफिकेशन से अभियुक्त की निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार प्रभावित नहीं हो रहा है। अभियोजन पक्ष को उनके ही कार्यस्थल से साक्ष्य देने की अनुमति दी गई है। कोर्ट ने कहा कि उप-राज्यपाल को स्थान तय करने का अधिकार जरुर है, लेकिन ये पुलिस थाने ही क्यों हैं। उप-राज्यपाल एक तटस्थ स्थान चुन सकते हैं जो पुलिस थानों से अलग हों।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल किया कि अभियोजन गवाह की गवाही अभियुक्त की उपस्थिति में क्यों ली जाती है। यह इसलिए कि ट्रायल निष्पक्ष बना रहे और अभियुक्त को भी पता चले कि उसके खिलाफ कौन सा साक्ष्य पेश किया जा रहा है। इस पर चेतन शर्मा ने निर्देश लेने के लिए समय देने की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को करने का आदेश दिया।
उच्च न्यायालय में याचिका वकील राज गौरव ने दायर किया है। याचिका में उप-राज्यपाल के 13 अगस्त को नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है जिसमें अभियोजन पक्ष के गवाहों जैसे पुलिस अधिकारियों को उनके आधिकारिक दफ्तर से ही गवाही देने का प्रावधान किया गाय है। याचिका में कहा गया है कि उप-राज्यपाल का नोटिफिकेशन संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
उप-राज्यपाल के इस नोटिफिकेशन के खिलाफ दिल्ली में वकीलों ने न्यायिक बहिष्कार किया था। अगस्त में हुए न्यायिक बहिष्कार के बाद दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्री से वार्ता करने का आश्वासन देते हुए नोटिफिकेशन के अमल पर रोक की बात कही थी, लेकिन फिर बाद में दिल्ली पुलिस के पत्र में में पुलिस के अहम गवाहों के बयान पुलिस स्टेशन से दर्ज करने का नोटिफिकेश आया। इस पत्र के खिलाफ फिर दिल्ली के वकीलों ने 8 सितंबर को हड़ताल किया जिसके बाद उसे फिर वापस लिया गया।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
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