रांची, 08 जुलाई (Udaipur Kiran) । भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो )अपनी छह वर्षों की सबसे असफल सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए केंद्र सरकार पर अनर्गल आरोप लगा रही है। प्रतुल ने मंगलवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि झारखंड का केंद्र सरकार ने झारखंड को 2024-25 के केंद्रीय बजट में रेलवे परियोजनाओं के लिए 9,853 करोड़ आवंटित किए हैं, जिसमें अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत रांची, हटिया, और अन्य स्टेशनों का आधुनिकीकरण शामिल है। खनन क्षेत्र में रॉयल्टी और जीएसटी के माध्यम से झारखंड को उसका उचित हिस्सा मिल रहा है। जल जीवन मिशन में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण झारखंड सरकार ने इस योजना को लूट की भेट चढ़ा दी है। ये योजना अभी भी राष्ट्रीय औसत में सबसे नीचे है जो शर्मनाक है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 10,000 किमी से अधिक ग्रामीण सड़कें बनाई गई हैं। केंद्र सरकार की डीएमएफटी योजना के तहत झारखंड को खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए 2024 तक 12,000 करोड़ से अधिक की राशि प्राप्त हुई है।प्रतुल ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2024-25 में मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जिसमें झारखंड को उसकी मांग के अनुसार राशि दी जा रही है। झारखंड में मनरेगा कार्यों में देरी और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आई हैं, जिसके लिए हेमंत सरकार जिम्मेदार है। 2024-25 में जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने झारखंड के लिए 1,200 करोड़ से अधिक का आवंटन किया है। यदि राशि का उपयोग नहीं हो रहा, तो यह राज्य सरकार की प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाता है। 15वें वित्त आयोग के तहत झारखंड को 2021-26 के लिए 31,000 करोड़ से अधिक की राशि दी गई है।
उन्होंने कहा कि झामुमो को केंद्र पर आरोप लगाने से पहले अपनी सरकार की विफलताओं पर ध्यान देना चाहिए। वित्त मंत्री ने खुद स्वीकार किया है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के तीन महीने बीत जाने के बाद भी अनेक विभागों में खर्च शून्य है जिसमें कृषि जैसा महत्वपूर्ण विभाग शामिल है। पिछले महीने ही कैबिनेट की बैठक के दौरान लंबे समय तक बिजली का कटना हेमंत सरकार की सच्चाई से अवगत कराती है।
प्रतुल ने कहा कि पूर्णिया की घटना अत्यंत दुखद है। बिहार सरकार ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की है। बिहार पुलिस ने इस मामले में तुरंत एफआईआर दर्ज की और दोषियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार बिहार में अपराध दर 2012-14 (यूपीए शासनकाल) की तुलना में 2024 में 30 प्रतिशत कम हुई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के शासनकाल में पिछले साढे पांच वर्षों में 8000 से ज्यादा दुष्कर्म की घटना हुई है इसमें लगभग एक तिहाई घटनाएं में आदिवासी बेटियां शिकार हुई है। यह आंकड़ा आबुआ सरकार की पोल खोलने के लिए काफी है।
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
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