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संघर्ष से सेवा तक : मिसाल बना धमतरी का लाल”

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धमतरी, 7 सितंबर (Udaipur Kiran) । कभी जीवन की कठिनाइयों से जूझते हुए निराशा में डूबा धमतरी जिले का एक बालक, चंदन सोनवानी आज भारतीय सेना का हिस्सा बनकर देश की सेवा कर रहा है। यह कहानी न केवल एक बच्चे की बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जिसने साबित कर दिया कि यदि ठान लिया जाए तो कठिन से कठिन परिस्थितियों पर भी विजय पाई जा सकती है।

यह घटना वर्ष 2020 की है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी आनंद पाठक को सूचना मिली कि एक बच्चा गांव में बिना घर और सहारे के इधर-उधर भटक रहा है। उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। गांव वाले दया स्वरूप उसे भोजन दे देते थे, किंतु भविष्य अंधकारमय था। तत्काल टीम भेजकर बच्चे को रेस्क्यू कराया गया और बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार उसे प्रतिज्ञा विकास संस्थान बालक गृह, धमतरी में रखा गया। कभी उसे सहारे की जरूरत थी आज देश का सहारा बना है|

बालक की मां का निधन हो चुका था और पिता मजदूरी में व्यस्त रहते थे। फिर भी वह बच्चा पढ़ाई में मेधावी था और चित्रकला में भी गहरी रुचि रखता था। जब उससे पूछा जाता कि बड़ा होकर क्या बनना चाहता है तो उसका सीधा उत्तर होता “पुलिस या सैनिक। संस्थान में रहते हुए उसे नवमी कक्षा में भर्ती कराया गया। 2024 तक उसने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसी वर्ष अग्निवीर आर्मी भर्ती प्रक्रिया में आवेदन किया। कठिन प्रतिस्पर्धा के बावजूद उसका चयन हुआ। चयन की सूचना मिलते ही तत्कालीन कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने मिलकर उसका उत्साहवर्धन किया।

हालांकि रास्ता सरल नहीं था। जाति प्रमाण पत्र बनवाने में काफी दिक्कतें आईं। किंतु जिला प्रशासन के प्रयासों से समस्या का समाधान हुआ। यही जज्बा उसे और मजबूत करता गया।

छह माह की कठिन ट्रेनिंग के बाद मई 2025 में उसकी पहली पोस्टिंग लखनऊ में हुई। आज वह केवल खुद को ही नहीं, बल्कि अपने छोटे भाइयों को भी पढ़ा रहा है और उन्हें भी देश सेवा की राह पर बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। यह बच्चा अकेला उदाहरण नहीं है। धमतरी के बाल गृह में निवासरत अन्य बच्चे भी अब आत्मनिर्भर होकर समाज में अपनी पहचान बना रहे हैं। कोई पांच सितारा होटल में सेवा दे रहा है, कोई एयरपोर्ट पर कार्यरत है, तो कोई प्लंबर या ब्यूटी पार्लर का व्यवसाय चला रहा है। सभी अपने पैरों पर खड़े होकर मिसाल पेश कर रहे हैं।

कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने कहा कि “यह कहानी केवल एक बच्चे की सफलता नहीं, बल्कि शासन की उन नीतियों और योजनाओं का परिणाम है जो वंचित और असहाय बच्चों को सुरक्षित भविष्य देने के लिए बनाई गई है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी और उनकी टीम ने जिस संवेदनशीलता से कार्य किया, वह काबिले-तारीफ है। यह सिद्ध करता है कि यदि प्रशासन, समाज और स्वयं बच्चे का संकल्प एक साथ मिल जाए तो असंभव कुछ भी नहीं। आज यह बच्चा सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रहा है, यह पूरे जिले के लिए गर्व की बात है। मैं चाहता हूं कि अन्य बच्चे भी उससे प्रेरणा लेकर अपनी राह तय करें। स्पष्ट है कि संघर्ष चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, सकारात्मक सोच, उचित मार्गदर्शन और सरकारी सहयोग से हर बाधा पर विजय पाई जा सकती है।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा

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