केरल के तिरुवनंतपुरम से एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। एक बेटे ने अपनी माँ की बेरहमी से हत्या कर दी, केवल इसलिए क्योंकि माँ ने उसके निजी रिश्ते पर सवाल उठाए थे। यह जघन्य अपराध न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है।
उस रात का भयावह मंजरयह दर्दनाक घटना तब शुरू हुई जब विष्णु नाम के एक युवक की माँ ने उसके किसी निजी रिश्ते को लेकर बात की। यह बात विष्णु को इतनी नागवार गुजरी कि उसका गुस्सा बेकाबू हो गया। गुस्से में उसने अपनी माँ के साथ अमानवीय व्यवहार किया। उसने माँ का सिर पकड़कर बार-बार दीवार पर दे मारा, लेकिन उसकी क्रूरता यहीं नहीं रुकी। उसने माँ के शरीर पर मिट्टी का तेल छिड़ककर उसे आग के हवाले कर दिया। इस भयानक कृत्य के बाद, विष्णु ने पड़ोसियों को यह दिखाने की कोशिश की कि यह एक दुर्घटना थी। वह चिल्लाता हुआ घर से बाहर निकला और ऐसा जताने लगा जैसे वह खुद इस घटना से सदमे में हो।
पुलिस की जाँच ने उजागर की सच्चाईपुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत जाँच शुरू की। शुरुआत में यह एक सामान्य हादसा लग रहा था, लेकिन जैसे-जैसे पुलिस ने सबूत इकट्ठा किए, सच्चाई सामने आने लगी। पुलिस ने पाया कि यह कोई दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सोची-समझी और क्रूर हत्या थी। विष्णु के दावों में कई खामियाँ थीं, और गवाहों के बयानों ने उसकी कहानी को झूठा साबित कर दिया। पुलिस की गहन जाँच ने यह साफ कर दिया कि विष्णु ने अपनी माँ की हत्या की थी, और उसने इसे दुर्घटना का रूप देने की कोशिश की थी।
अदालत का कड़ा फैसला: इंसाफ की जीतइस मामले की सुनवाई तिरुवनंतपुरम की छठी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर. रेखा की अदालत में हुई। अदालत ने सभी सबूतों और गवाहों के बयानों को गहराई से विश्लेषण किया। प्रस्तुत किए गए ठोस सबूतों और विश्वसनीय गवाही के आधार पर, विष्णु को अपनी माँ की हत्या का दोषी ठहराया गया। अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई, जो उसके जीवन के अंत तक जेल में रहने का प्रतीक है। इसके साथ ही, उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि विष्णु यह जुर्माना नहीं चुकाता, तो उसे छह महीने की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। यह फैसला समाज में अपराध के खिलाफ कठोर रुख को दर्शाता है और यह संदेश देता है कि कोई भी अपराधी कानून की पकड़ से नहीं बच सकता।
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