दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए दिल दहला देने वाले बम धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस घटना पर अब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि इस धमाके से हमारी कौम एक बार फिर बदनामी का दाग झेलेगी। खासकर अगर इसमें पढ़े-लिखे नौजवान और डॉक्टर शामिल पाए गए, तो यह हमारी कौम के लिए बेहद शर्मनाक और चिंताजनक होगा।
‘जम्मू-कश्मीर के डॉक्टरों पर शक, निष्पक्ष जांच जरूरी’महबूबा मुफ्ती ने इस मामले में साफ शब्दों में कहा कि यह पता लगाना जरूरी है कि क्या इस धमाके में जम्मू-कश्मीर के डॉक्टर शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसकी जांच पूरी तरह निष्पक्ष होनी चाहिए। श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा, “हमारे जम्मू-कश्मीर के सबसे होशियार और प्रतिभाशाली लोग, जो डॉक्टर हैं, अगर वो इस तरह की हरकतों में लिप्त हैं, तो यह हमारी कौम के लिए बहुत बड़ा झटका है। यह न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि हमारी सामाजिक संरचना के लिए भी खतरनाक है।”
‘हम दिल्ली की तकलीफ को समझते हैं’बुधवार, 12 नवंबर को श्रीनगर में बोलते हुए महबूबा मुफ्ती ने दिल्ली ब्लास्ट के पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना जताई। उन्होंने कहा, “दिल्ली में जो कुछ हुआ, उस दर्द को हम आपसे कहीं ज्यादा समझते हैं। हमने जम्मू-कश्मीर में सालों तक खून-खराबा देखा है। हमने आतंक और हिंसा का दंश बहुत करीब से झेला है।” उन्होंने इस दुखद घटना पर गहरा दुख जताया और कहा कि ऐसी घटनाएं किसी भी समाज के लिए अभिशाप हैं।
दिल्ली सरकार से महबूबा की भावुक अपीलमहबूबा मुफ्ती ने दिल्ली सरकार से इस मामले की तेजी से और पारदर्शी जांच की मांग की। उन्होंने कहा, “मैं दिल्ली सरकार से गुजारिश करती हूं कि इस मामले की जांच जल्द से जल्द हो। लेकिन यह जांच साफ-सुथरी होनी चाहिए। जिन लोगों के परिवारों से संदिग्धों का ताल्लुक है, उनके मां-बाप, भाई-बहन को मुजरिम की तरह न देखा जाए। मैंने टीवी पर देखा कि एक डॉक्टर के पिता को कैसे अपमानित किया गया। उनके मुंह पर काला कपड़ा डालकर उन्हें घसीटा गया। यह गलत है, ऐसा नहीं होना चाहिए।”
‘सजा दो, लेकिन बेकसूरों को न सताओ’पीडीपी चीफ ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि उसे दोषियों और बेकसूरों में फर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा, “जो लोग इस धमाके में शामिल हैं, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। लेकिन सिर्फ शक के आधार पर उनके रिश्तेदारों को परेशान करना गलत है। अगर कोई संदिग्ध है, तो उससे सवाल-जवाब करिए, लेकिन उसे अपराधी की तरह पेश न करें। अभी तक तो कोई जुर्म साबित भी नहीं हुआ है, सिर्फ शक की बुनियाद पर कार्रवाई हो रही है।” महबूबा ने इस बात पर जोर दिया कि जांच में मानवता और संवेदनशीलता का ध्यान रखा जाना चाहिए।
You may also like

'मैंने नरक देखाˈ है' 100 लाशें दफनाईं अब गवाही देने पहुंचा… पूरा बदन ढका था खुली आंखों से झांक रहा था खौफ﹒

ख़ुद को युवकˈ बताता है इच्छाधारी नाग और करना चाहता है नागिन से विवाह﹒

एटीएसईपी कर्मचारी हवाई यातायात प्रणाली के रीढ़ : निदेशक

जनवरी 2026 के खिचड़ी मेले की तैयारी बैठक सम्पन्न

धन की कमीˈ और कर्ज से मुक्ति चाहिए तो इस अंग पर बांधें काला धागा चमत्कारी असर खुद देखेंगे﹒




