पिछले कुछ महीनों में देश में इथेनॉल को लेकर खूब हंगामा हुआ। लोगों ने दावा किया कि इथेनॉल की वजह से उनके वाहन खराब हो रहे हैं। यह मामला इतना बढ़ा कि सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। इस पूरे विवाद में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को निशाना बनाया गया। लेकिन कोर्ट ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। इस पूरे मामले पर गडकरी ने खुलकर अपनी बात रखी और एक ऐसा बयान दिया, जिसने सबका ध्यान खींच लिया। उन्होंने कहा, “मेरा दिमाग हर महीने 200 करोड़ रुपये कमाता है। मुझे पैसों की कोई कमी नहीं है, और मैं कभी नीचे नहीं गिरता।”
सोशल मीडिया ने फैलाया विवादनागपुर में एग्रीकोस वेलफेयर सोसाइटी के एक कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि यह पूरा विवाद सोशल मीडिया की देन है। उन्होंने साफ किया कि उनका काम किसानों के हित में है, न कि पैसे कमाने के लिए। “लोग सोचते हैं कि मैं यह सब पैसे के लिए कर रहा हूँ? मैं ईमानदारी से कमाना जानता हूँ। मैं कोई दलाल नहीं हूँ,” गडकरी ने जोर देकर कहा। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ नेता अपने राजनीतिक फायदे के लिए लोगों को भड़काते हैं और पिछड़ापन अब एक राजनीतिक हथियार बन चुका है।
मैं कोई संत नहीं हूँगडकरी ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा, “मैं कोई संत नहीं हूँ। मेरा भी एक परिवार है, एक घर है। मैं भी एक नेता हूँ। लेकिन विदर्भ में 10,000 किसानों की आत्महत्या मेरे लिए शर्मिंदगी की बात है। मैं तब तक नहीं रुकूंगा, जब तक हमारे किसान खुशहाल और समृद्ध नहीं हो जाते।” उनका यह बयान किसानों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बेटे के बिजनेस पर क्या बोले गडकरी?गडकरी ने अपने बेटे के कारोबार के बारे में भी खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि वह अपने बेटे को सिर्फ नए विचार और दिशा-निर्देश देते हैं। “मेरे बेटे का आयात-निर्यात का बिजनेस है। उसने हाल ही में ईरान से 800 कंटेनर सेब मंगवाए और भारत से 1,000 कंटेनर केले भेजे।” इसके अलावा, उनके बेटे ने गोवा से 300 कंटेनर मछली सर्बिया भेजी और ऑस्ट्रेलिया में एक मिल्क पाउडर फैक्ट्री भी शुरू की है। गडकरी ने बताया कि उनका बेटा अबू धाबी और अन्य जगहों पर 150 कंटेनर माल भेजता है।
चावल मिलों का कारोबारगडकरी ने यह भी खुलासा किया कि उनका बेटा आईटीसी के साथ मिलकर 26 चावल मिलें चलाता है। “मुझे 5 लाख टन चावल के आटे की जरूरत है। इसलिए वह मिलें चलाता है, और मैं वहां से आटा खरीदता हूँ।” गडकरी ने इसे एक उदाहरण के तौर पर पेश किया कि कैसे व्यावसायिक बुद्धि से कृषि क्षेत्र में नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
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