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Sanitary Pads Health Risks : पीरियड्स के दौरान यूज किए जाने वाले पैड्स से बांझपन का खतरा?

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Sanitary Pads Health Risks : पीरियड्स, यानी मासिक धर्म, महिलाओं के शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें हर महीने योनि से रक्तस्राव होता है। इस दौरान सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल महिलाओं के लिए सबसे आसान और सुविधाजनक विकल्प माना जाता है। बाजार में आसानी से मिलने वाले ये पैड्स न सिर्फ आरामदायक हैं, बल्कि हर महिला की जरूरत बन चुके हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सैनिटरी पैड्स, जो आपकी सुविधा के लिए बने हैं, आपकी सेहत के लिए खतरा भी बन सकते हैं? हाल के शोधों ने सैनिटरी नैपकिन्स की स्वच्छता और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खतरनाक प्रभावों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, भारत में बिकने वाले ज्यादातर सैनिटरी पैड्स पूरी तरह स्वच्छ नहीं हैं। इतना ही नहीं, ये पैड्स कैंसर, बांझपन और हार्मोनल असंतुलन जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं। हार्मोनल असंतुलन तब होता है, जब शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स की मात्रा सामान्य से कम या ज्यादा हो जाती है। आइए, इस खतरे को और गहराई से समझते हैं।

सैनिटरी पैड्स में छिपे खतरनाक रसायन

सैनिटरी पैड्स को बनाने में कई ऐसे रसायनों का इस्तेमाल होता है, जो आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख रसायनों और उनके खतरों के बारे में जानिए:

डाइऑक्सिन: त्वचा और हार्मोन्स का दुश्मन

सैनिटरी पैड्स को चमकदार सफेद बनाने के लिए ब्लीचिंग प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में डाइऑक्सिन नामक रसायन निकलता है। जब यह रसायन शरीर में अधिक मात्रा में पहुंचता है, तो यह हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है। इससे त्वचा पर चकत्ते और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

फ्यूरान: कैंसर का खतरा

पैड्स बनाने में इस्तेमाल होने वाला फ्यूरान एक खतरनाक पदार्थ है, जो कपास के रेशों से चिपककर त्वचा में जलन या रोग पैदा कर सकता है। साइंसडायरेक्ट.कॉम के अनुसार, फ्यूरान को संभावित कार्सिनोजेन (कैंसर पैदा करने वाला तत्व) माना जाता है। इसका ज्यादा संपर्क सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

फथैलेट्स: हार्मोनल असंतुलन का कारण

पैड्स की ऊपरी सतह को मुलायम और आरामदायक बनाने के लिए फथैलेट्स का उपयोग होता है। यह रसायन हार्मोन बनाने वाली ग्रंथियों (एंडोक्राइन सिस्टम) को प्रभावित करता है, जिससे हार्मोनल असंतुलन और मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

आर्टिफिशियल खुशबू: सुगंध में छिपा खतरा

बाजार में मिलने वाले खुशबूदार पैड्स में आर्टिफिशियल फ्रेग्रेंस, परफ्यूम और टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल होता है। ये केमिकल्स जननांगों के संपर्क में आने पर ज्यादा हानिकारक रसायनों का उत्सर्जन करते हैं। इससे न सिर्फ हार्मोनल असंतुलन का खतरा बढ़ता है, बल्कि लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।

हार्मोनल असंतुलन से बचने के आसान उपाय

सैनिटरी पैड्स से होने वाले नुकसान से बचने के लिए कुछ आसान और सुरक्षित विकल्प अपनाए जा सकते हैं। इन उपायों को अपनाकर आप अपनी सेहत की रक्षा कर सकती हैं:

ऑर्गेनिक कॉटन पैड्स का उपयोग: केमिकल और प्लास्टिक वाले पैड्स की जगह ऑर्गेनिक कॉटन से बने सैनिटरी पैड्स चुनें। ये त्वचा के लिए सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।

मेनस्ट्रूअल कप: सिलिकॉन से बने री-यूजेबल मेनस्ट्रूअल कप एक बेहतरीन विकल्प हैं। ये न सिर्फ सुरक्षित हैं, बल्कि लंबे समय तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

ईको-फ्रेंडली पैड्स: पर्यावरण के लिए अनुकूल पैड्स का उपयोग करें, जो केमिकल्स से मुक्त हों।

नियमित पैड बदलें: पीरियड्स के दौरान नियमित अंतराल पर पैड बदलना जरूरी है। इससे संक्रमण का खतरा कम होता है।

डॉक्टर से सलाह: अगर आपको हार्मोनल असंतुलन के लक्षण जैसे अनियमित पीरियड्स, थकान या त्वचा संबंधी समस्याएं दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

इन छोटे-छोटे कदमों से आप न सिर्फ अपनी सेहत की रक्षा कर सकती हैं, बल्कि एक सुरक्षित और स्वस्थ मासिक धर्म अनुभव भी सुनिश्चित कर सकती हैं। सैनिटरी पैड्स चुनते समय सावधानी बरतें और अपनी सेहत को प्राथमिकता दें।

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